Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Mar, 2021 06:04 PM
पिछले साल मार्च से अक्टूबर के बीच लगातार दो तिमाही में जब GDP ग्रोथ नेगेटिव हो गई थी, रिजर्व बैंक ने कहा था कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है लेकिन रिकवरी के दौर से गुजरने के बाद एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन और अमेरिका सहित दुनिया भर में...
बिजनेस डेस्कः पिछले साल मार्च से अक्टूबर के बीच लगातार दो तिमाही में जब GDP ग्रोथ नेगेटिव हो गई थी, रिजर्व बैंक ने कहा था कि देश मंदी के दौर से गुजर रहा है लेकिन रिकवरी के दौर से गुजरने के बाद एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी चीन और अमेरिका सहित दुनिया भर में सबसे तेज ग्रोथ वाली हो जाएगी। ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) के मुताबिक कोविड-19 के टीकाकरण के चलते भारत की रियल GDP ग्रोथ नए वित्त वर्ष में 12.6 फीसदी रह सकती है। OECD ने वित्त वर्ष 2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 5.4 फीसदी रहने का अनुमान दिया है।
OECD का अनुमान इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) की तरफ से इसी साल जनवरी में दिए गए अनुमान को सपोर्ट करता है। IMF के मुताबिक, अप्रैल से शुरू होने वाले फाइनेंशियल ईयर में सिर्फ भारत डबल डिजिट ग्रोथ हासिल करने वाली बड़ी इकोनॉमी होगी। अगर OECD और IMF दोनों का अनुमान सहित साबित होता है तो भारत 2021 में फिर से सबसे ज्यादा ग्रोथ रेट वाला देश हो जाएगा।
सरकार ने इकोनॉमिक सर्वे में देश की GDP ग्रोथ नए वित्त वर्ष में 11% रहने का अनुमान लगाया था। इतनी GDP ग्रोथ भी चीन के लिए OECD की तरफ से दिए गए अनुमान से ज्यादा होगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि भारत को ऊंची आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए क्या करना होगा?
टीके का उत्पादन और वितरण बढ़ाना सबसे अच्छी नीति
OECD के मुताबिक कोरोनावायरस से बचाव वाले टीके का उत्पादन और उसका वितरण बढ़ाना आर्थिक वृद्धि दर और रोजगार के मौकों को बढ़ावा देने वाली सबसे अच्छी नीति होगी। इस राह पर भारत पहले से ही चल रहा है और यह कोरोनावायरस के बचाव के सबसे ज्यादा टीके बनाने वाला देश भी बन गया है। बताया जाता है कि भारत ने टीकों की उत्पादन क्षमता में विस्तार के लिए QUAD देशों यानी अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया से फंड भी मांगा है।
कंज्यूमर का खर्च और कंपनियों का भरोसा घटने का रिस्क
OECD ने भारत में मॉनेटरी पॉलिसी अकमोडेटिव और फिस्कल पॉलिसी मांग को बढ़ावा देने वाली बनाए रखने पर जोर दिया है। यह बात रिजर्व बैंक मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की हर मीटिंग में दोहराता रहा है। OECD का यह भी कहना है कि टीकाकरण ठीक तरीके से और तेजी से नहीं हुआ तो कंज्यूमर के खर्च और कंपनियों के भरोसे में कमी आएगी। दुनिया भर के देशों में कोरोनावायरस की नई किस्म के कहर को देखते हुए यह बात अहम हो जाती है।
वायरस की नई किस्म के हमले से लॉकडाउन का जोखिम
OECD ने कहा है, 'विकसित देशों के अलावा चीन, भारत और रूस जैसे वैक्सीन सप्लायर देशों को कोरोनावायरस की नई किस्म के हमले की आशंका हो रही है। ऐसा होने पर 2021 की दूसरी छमाही में फिर से लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है। उनके यहां कोरोनावायरस से बचाव का टीका 2021 में सबको लगा दिए जाने की संभावना है।' भारत में दूसरे चरण का टीकाकरण अभियान चल रहा है, पहले चरण में फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया गया था।