गिरते रुपए और महंगे कच्चे तेल से परेशान भारत, उठाएगा यह कदम!

Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 Sep, 2018 12:57 PM

india troubled by falling rupee and expensive crude oil

कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमत और गिरते रुपए ने भारत की परेशानी बढ़ा रखी है। इससे निपटने के लिए आने वाले दिनों में सरकार तेल के आयात में कमी करने पर भी विचार कर सकती है। नवंबर से ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए ताजे प्रतिबंध फिर से लागू हो जाएंगे।...

नई दिल्लीः कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमत और गिरते रुपए ने भारत की परेशानी बढ़ा रखी है। इससे निपटने के लिए आने वाले दिनों में सरकार तेल के आयात में कमी करने पर भी विचार कर सकती है। नवंबर से ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए ताजे प्रतिबंध फिर से लागू हो जाएंगे। इसके बाद ईरान से तेल खरीदना वैसे भी भारत के लिए आसान नहीं होगा। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल के दाम और बढ़ने की आशंका है।

तेल के दामों पर ग्लोबल वजहों का असर अभी से देखने को मिल रहा है। बेहद कम वक्त में पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। मुंबई में पेट्रोल 90 रुपए लीटर से पार हो गया है। दूसरी तरफ रुपया भी डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर रहा है। सोमवार को यह डॉलर के मुकाबले 29 पैसे लुढ़क कर 72.49 रुपए प्रति डॉलर पर रह गया था। इसे देखते हुए भारत कच्चे तेल के आयात को कम करने की बात सोच रहा है। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है और भारत ईरान से बड़ी मात्रा में तेल खरीदता है। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। रुपए में लगातार हो रही गिरावट और कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा इसकी मुख्य वजह है। देश के विभिन्न शहरों में पेट्रोल की कीमत 80 से 90 रुपए प्रति लीटर के आसपास है। 

इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी) के चेयरमैन संजीव सिंह ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरी कंपनियां इस तरीके से कच्चे तेल के भंडार को संतुलित करने की संभावनाएं देख रहीं हैं ताकि उन्हें अग्रिम में तेल कम खरीदना पड़े और घरेलू बाजार में ईंधन की आपूर्ति प्रभावित न हो। रिफाइनरी कंपनियां आमतौर पर टैंकों में सात आठ दिन का भंडार रखती हैं। इसके अलावा वे पाइपलाइन और मार्ग में जहाजों में भी भंडार रखती हैं। उन्होंने बताया कि रिफाइनरी कंपनियां इस भंडार को घटाने पर विचार कर रही हैं ताकि कच्चे तेल का आयात घटाया जा सके। बता दें कि भारत अपने कच्चे तेल की 81 फीसदी जरूरत आयात से पूरी करता है। सिंह ने कहा, ‘‘पिछले शनिवार 15 सितंबर को हमारी उद्योग के समक्ष विभिन्न मुद्दों पर बैठक हुई थी। इस बैठक में भंडारण के स्तर को घटाकर आयात में कमी लाने पर चर्चा हुई।’’ इस फैसले की एक और प्रमुख वजह यह है कि एशियाई प्रीमियम पिछले तीन-चार माह में 3 से 5 डॉलर प्रति बैरल के उच्चस्तर पर पहुंच गया है।

एशियन प्रीमियम पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के देशों द्वारा एशियाई देशों से वसूला जाता है। पश्चिमी देशों से यह प्रीमियम नहीं लिया जाता है। सिंह ने कहा कि भंडारण के स्तर और आयात को घटाना एक अस्थायी उपाय है। इसमें घरेलू बाजार में आपूर्ति को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि घरेलू आपूर्ति को पूरा करना हमारी प्रमुख प्राथमिकता है। इस फैसले से घरेलू बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। सिंह ने कहा कि तेल की ऊंची कीमतों से दीर्घावधि में मांग प्रभावित होगी। ऐसे में आयात घटाना एक सही विचार है। अगस्त में भारत ने 9.8 अरब डॉलर के 1.86 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया है। 
 

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