Edited By Supreet Kaur,Updated: 16 Dec, 2019 04:55 PM
वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूड़ीज इनवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि भारत में कमजोर घरेलू खपत से आर्थिक वृद्धि में गिरावट आएगी और इसका असर कई क्षेत्रों को दिए गए कर्ज की गुणवत्ता पर पड़ेगा। मूडीज़ ने मार्च 2020 में समाप्त होने जा रहे चालू वित्त ...
नई दिल्लीः वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूड़ीज इनवेस्टर्स सर्विस ने सोमवार को कहा कि भारत में कमजोर घरेलू खपत से आर्थिक वृद्धि में गिरावट आएगी और इसका असर कई क्षेत्रों को दिए गए कर्ज की गुणवत्ता पर पड़ेगा। मूडीज़ ने मार्च 2020 में समाप्त होने जा रहे चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का अनुमान पहले के 5.8 प्रतिशत से घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया।
मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस ने एक रिपोर्ट में कहा है कि आर्थिक वृद्धि को कमजोर करने में ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समस्या खड़ा होना, रोजगार सृजन कम होना और नकदी की तंगी जैसे कारणों से यह स्थिति बनेगी। मूडीज़ के सहायक उपाध्यक्ष और विश्लेषक देबराह तान ने कहा, ‘‘एक समय जो निवेश आधारित सुस्ती थी वह अब फैलती हुई खपत में कमी वाली अर्थव्यवस्था बन गई। कृषि क्षेत्र में श्रमिकों की वेतन वृद्धि कमजोर पड़ने जमीन और श्रम क्षेत्र के जटिल कानूनों के चलते रोजगार सृजन में भी नरमी बनी हुई है।''
रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू खपत भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रीढ़ रही है। वर्ष 2018- 19 की जीडीपी में इस क्षेत्र का 57 प्रतिशत हिस्सा रहा है। दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं की तरह ही भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रह गई। पहली तिमाही में यह पांच प्रतिशत रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर- बैंकिंग वित्तीय संस्थानों में रिण संकट से इस सुस्ती को और गहरा बना दिया। ये संस्थान हाल के वर्षों में खुदरा कर्ज उपलब्ध कराने वाले प्रमुख संस्थान बन कर उभरे हैं।