केयर्न फैसला: 1.4 अरब डॉलर की वसूली के लिए जब्त हो सकती हैं विदेशों में भारतीय परिसंपत्तियां

Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jan, 2021 01:34 PM

indian assets abroad may be confiscated for recovery of 1 4 billion

अमेरिकी तेल कंपनी कोनोकोफिलिप्स द्वारा मध्यस्थता आदेश के मुताबिक विदेश में स्थिति वेनेजुएला की संपत्ति जब्त किए जाने की तर्ज पर ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी को 1.4 अरब डॉलर का हर्जाना देने के आदेश के तहत विदेशों में भारतीय बैंक

नई दिल्लीः अमेरिकी तेल कंपनी कोनोकोफिलिप्स द्वारा मध्यस्थता आदेश के मुताबिक विदेश में स्थिति वेनेजुएला की संपत्ति जब्त किए जाने की तर्ज पर ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी को 1.4 अरब डॉलर का हर्जाना देने के आदेश के तहत विदेशों में भारतीय बैंक खातों, विमानों और अन्य परिसंपत्तियों को जब्त किया जा सकता है। एक पत्र में यह बात कही गई है। इस पत्र के मुताबिक यदि भारत सरकार न्यायाधिकरण के आदेश का पालन करने में असफल रहती है, तो उस सूरत में ब्रिटिश कंपनी ने विदेश में स्थित भारतीय परिसंपत्तियों की पहचान शुरू कर दी है। 

केयर्न के सीईओ साइमन थॉमसन ने लंदन में भारत के उच्चायुक्त को 22 जनवरी के पत्र में कहा कि मध्यस्थता आदेश ‘‘अंतिम और बाध्यकारी'' है तथा भारत सरकार इसकी शर्तों को मानने के लिए बाध्य है। इस पत्र की प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और विदेश मंत्री एस जयशंकर को भी भेजी गई है। पत्र में लिखा है, ‘‘भारत ने न्यूयॉर्क कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किया गया है, इसलिए आदेश को दुनिया भर के कई देशों में भारतीय संपत्ति के खिलाफ लागू किया जा सकता है, जिसके लिए आवश्यक तैयारियां की जा चुकी हैं।'' 

वर्ष 2019 में कोनोकोफिलिप्स ने दो अरब डॉलर की क्षतिपूर्ति वसूलने के लिए वेनेजुएला की सरकारी तेल कंपनी पीडीवीएसए की परिसंपत्तियों को जब्त करने के लिए अमेरिकी अदालत में याचिका लगाई थी। इसके बाद पीडीवीएसए ने कोनोकोफिलिप्स को भुगतान किया। तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण, जिसमें भारत सरकार द्वारा नियुक्त एक न्यायाधीश भी शामिल हैं, ने पिछले महीने आदेश दिया था कि 2006-07 में केयर्न द्वारा अपने भारत के व्यापार के आंतरिक पुनर्गठन करने पर भारत सरकार का 10,247 करोड़ रुपये का कर दावा वैध नहीं है। न्यायाधिकरण ने भारत सरकार से यह भी कहा कि वह केयर्न को लाभांश, कर वापसी पर रोक और बकाया वसूली के लिए शेयरों की आंशिक बिक्री से ली गई राशि ब्याज सहित लौटाए। यदि भारत न्यायाधिकरण के आदेश का पालन नहीं करता है, तो यह मध्यस्थ आदेश पर अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन होगा, जिसे आमतौर पर न्यूयॉर्क कन्वेंशन कहा जाता है।

मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार के पास सीमित विकल्प हैं। उन्होंने बताया कि इस फैसले के खिलाफ हेग की अदालत में अपील करने का सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद कम ही है। उन्होंने कहा कि केयर्न मध्यस्थता आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील भी कारगर नहीं हो सकता है, क्योंकि अभी यह देखा जाना है कि क्या भारतीय शीर्ष न्यायालय के पास अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के आदेश पर विचार करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह भी महत्वपूर्ण है कि केयर्न एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी है, जो वोडाफोन के विपरीत अब भारत में कोई परिचालन नहीं करती है।

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