US में भारी ट्रकों के लिए ऑर्डर घटने से इंडियन ऑटो पार्टस कम्पनियों पर बनेगा दबाव

Edited By Isha,Updated: 19 Dec, 2018 11:54 AM

indian auto parts companies will be forced to pressurize

इन्वैस्टर भारत फोर्ज, रामकृष्ण फोॄजग, एम.एम. फोॄजग और मदरसन सुमी जैसी इंडियन सप्लायर्स को लेकर सावधानी बरतना शुरू कर सकते हैं। दरअसल अमरीका में ट्रकों की डिमांड साइकिल पीक पर पहुंच चुकी है। आमतौर पर हाई बेस के चलते

नई दिल्ली: इन्वैस्टर भारत फोर्ज, रामकृष्ण फोॄजग, एम.एम. फोॄजग और मदरसन सुमी जैसी इंडियन सप्लायर्स को लेकर सावधानी बरतना शुरू कर सकते हैं। दरअसल अमरीका में ट्रकों की डिमांड साइकिल पीक पर पहुंच चुकी है। आमतौर पर हाई बेस के चलते गिरावट की शुरूआत होने से पहले नए ऑर्डर्स में आमतौर पर 2 साल के लिए अपसाइकिल बनती है। नॉर्थ अमरीका में हैवी ट्रकों के नए ऑर्डर्स का पैमाना माने जाने वाले क्लास 8 ट्रकों का ऑर्डर पिछले 2 साल तक तेज ग्रोथ के बाद नवम्बर में पहली बार 15 प्रतिशत गिरकर 27,600 यूनिट पर आ गया था। पिछले एक साल में नए ऑर्डर्स की ग्रोथ औसतन 111 प्रतिशत रही है और एवरेज मंथली रेट 41,632 यूनिट रहा है।

नवम्बर के डाटा बताते हैं कि ग्रोथ पर हाई बेस का असर हो रहा है और आने वाले महीनों में यह रुझान बना रह सकता है। मॉर्गन स्टैनली का कहना है कि नवम्बर में नए ऑर्डर्स की संख्या में आई गिरावट के चलते 2019 का आऊटलुक कमजोर हो सकता है। हाल के महीनों में ऑर्डर कैंसिल होने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। कम्पनियों की फाइनैंशियल परफॉर्मैंस हो सकती है खराब नए ऑर्डर्स की संख्या में आई गिरावट के असर से अगले फिस्कल ईयर में कम्पनियों की फाइनैंशियल परफॉर्मैंस खराब हो सकती है। आमतौर पर नए ऑर्डर का असर प्रोडक्शन पर दिखने में 6 से 8 महीने का समय लगता है।

पिछले एक साल में क्लास 8 ट्रकों के नए ऑर्डर की मंथली एवरेज रन रेट 41,988 यूनिट जबकि प्रोडक्शन रन रेट 25,728 यूनिट रही है। 4 इंडियन सप्लायर्स का एवरेज रिटर्न 3.6 प्रतिशत गिरा पिछले एक महीने में 4 इंडियन सप्लायर्स का एवरेज रिटर्न गिरकर 3.6 प्रतिशत रह गया है जबकि बी.एस.ई. ऑटो इंडैक्स में महज 1.5 प्रतिशत की ग्रोथ रही है। अमरीका में ट्रकों के ऑर्डर में आ रही गिरावट का सबसे बड़ा असर भारत फोर्ज पर पड़ सकता है। कम्पनी को लगभग स्टैंडअलोन रैवेन्यू का 20 प्रतिशत हिस्सा नॉर्थ अमरीका के हैवी ट्रक सैग्मैंट से हासिल होता है। बाजार के जानकारों की राय में मौजूदा और अगले फिस्कल ईयर में कमॢशयल व्हीकल सैग्मैंट की एक्सपोर्ट ग्रोथ क्रमश: 25 और 15 प्रतिशत रह सकती है। ऑर्डर्स में सुस्ती बने रहने पर ग्रोथ का अनुमान और घट सकता है।

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