Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 10:34 AM
स्किम्ड मिल्क पाऊडर (एस.एम.पी.) का उत्पादन खपत से अधिक रहने से भारतीय दुग्ध उद्योग के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। एस.एम.पी. का भंडार मार्च तक बढ़कर 2,00,000 टन पहुंच सकता है। दूसरी तरफ दुग्ध सहकारी इकाइयों के पास पहले ही 20 प्रतिशत अधिक दूध की...
नई दिल्लीः स्किम्ड मिल्क पाऊडर (एस.एम.पी.) का उत्पादन खपत से अधिक रहने से भारतीय दुग्ध उद्योग के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। एस.एम.पी. का भंडार मार्च तक बढ़कर 2,00,000 टन पहुंच सकता है। दूसरी तरफ दुग्ध सहकारी इकाइयों के पास पहले ही 20 प्रतिशत अधिक दूध की मात्रा आ रही है, लेकिन इन्हें एस.एम.पी. में तबदील करने की उनकी क्षमता पर्याप्त नहीं है।
इसका नतीजा यह हुआ है कि किसानों को मिलने वाला खरीद मूल्य औसतन 20 प्रतिशत कम हो गया है। जल्द ही एस.एम.पी. की खेप का निर्यात नहीं हुआ तो कीमतें और कम हो सकती हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सरकार एस.एम.पी. खरीद सकती हैै और इसे मदद योजना के तहत सार्क देशों को भेज सकती है। कुल मिलाकर दुग्ध उद्योग की हालत खस्ता है और जल्दी से कोई समाधान नहीं निकला तो दूध उत्पादकों को तगड़ी चोट पहुंच सकती है। हालात ऐसे ही रहे तो अगले सत्र में दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है और किसान इससे आहत होकर दुग्ध उद्योग से मुंह मोड़ सकते हैं।
SMP के कारण कीमतें हुईं कम
कर्नाटक मिल्क फैडरेशन (के.एम.एफ .) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वह इस साल जून तक एस.एम.पी. भंडार खाली करना चाहता है। उत्तर भारत और महाराष्ट्र में निजी दुग्ध एवं जिंस कंपनियों ने दूध खरीदना खासा कम कर दिया है। राष्ट्र्रीय राजधानी क्षेत्र (एन.सी.आर.) की एक निजी दुग्ध उत्पादक कंपनी ने कहा कि बाजार एस.एम.पी. से भरा पड़ा है, जिससे घरेलू बाजार में कीमतें कम होकर 150 रुपए प्रति किलोग्राम तक रह गई हैं। यानी इनमें 30 प्रतिशत तक कमी आ गई है। दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कीमत 115 रुपए प्रति किलोग्राम है, जिससे निर्यात का विकल्प भी नहीं रह गया है।
आंध्र प्रदेश में भी कीमत स्थिर
फिलहाल जी.सी.एम.एम.एफ . किसानों को पिछले साल का खरीद मूल्य दे रहा है और इसे कम नहीं किया गया है। आंध्र प्रदेश में भी कीमत स्थिर है। हालांकि निजी दुग्ध उत्पादक इकाइयों से लैस उत्तर प्रदेश में सहकारी समितियों ने खरीदारी 9,00,000 लीटर प्रति दिन से कम कर 5,00,000 लीटर प्रति दिन कर दी है। देश में एस.एम.पी. भंडार का मूल्य 1,600 करोड़ रुपए से 2,000 करोड़ रुपए के बीच है। एक निजी दुग्ध उत्पादक कंपनी ने कहा कि अगर सरकार कुछ मात्रा खरीदती है तो स्थिति में सुधार हो सकता है।