भारतीय अर्थव्यवस्था बदलाव के दौर में, वृद्धि की राह पर लौटेगीः SBI चेयरमैन

Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 Oct, 2019 04:11 PM

indian economy in transition phase will return to growth path

भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय बदलाव के दौर से गुजर रही है और जल्द यह वृद्धि की राह पर लौटेगी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने यह बात कही। कुमार ने भरोसा जताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द वृद्धि की राह पर लौटेगी। उन्होंने कहा...

वाशिंगटनः भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय बदलाव के दौर से गुजर रही है और जल्द यह वृद्धि की राह पर लौटेगी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के चेयरमैन रजनीश कुमार ने यह बात कही। कुमार ने भरोसा जताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था जल्द वृद्धि की राह पर लौटेगी। उन्होंने कहा, ‘‘वृद्धि वापस लौटेगी। पिछले कुछ साल में कई सुधार किए गए हैं, अर्थव्यवस्था बदलाव के दौर में है। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लाया गया है। दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) लाई गई है। इस वजह से हम बदलाव के दौर में हैं। कॉरपोरेट क्षेत्र में काफी साफ सफाई हुई है।''

कुमार पिछले सप्ताह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की वार्षिक आम बैठक में भाग लेने गए प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे। एसबीआई प्रमुख ने कहा कि जब कुछ बदलाव होता है तो मुझे लगता है कि कुछ अड़चन आती है। कुमार ने कहा कि जहां तक विकास की बात है तो भारत अभी ‘विकसित' की श्रेणी में नहीं है। इसके अलावा हमारी प्रति व्यक्ति आय भी कम है। ‘‘भारत में वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं। जनसांख्यिकीय (युवा आबादी का अनुपात) भी भारत के साथ है।'' उन्होंने कहा कि कई अन्य विकसित जनसांख्यिकीय चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन कम से कम कुछ समय तक भारत के समक्ष ऐसी चुनौती नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे में वृद्धि वापस लौटेगी।

कुमार ने कहा, ‘‘मेरे विचार में आर्थिक वृद्धि में हम निचला स्तर छू चुके हैं। अब यह क्षेत्र दर क्षेत्र आधार पर ऊपर जाएगी। यदि हम कृषि क्षेत्र को देखें तो मुझे लगता है कि ऋण के मामले में इस साल स्थिति बेहतर है। विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती है और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश भी सुस्त है।'' उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार बैंकिंग को प्रत्येक घर के दरवाजे पर पहुंचा चुकी है। सक्रिय खातों की संख्या 90 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसके अलावा इन खातों में जमा राशि ऐसे स्तर पर पहुंच गई है, जो बैंकों के लिए घाटे का सौदा नहीं है। उन्होंने कहा कि इन खातों में औसत शेष 1,900 रुपए पर पहुंच गया है। जून तक बचत बैंक खातों में जमा राशि 230 अरब रुपए थी। कुमार ने कहा कि जब इतनी बड़ी आबादी को बैंकिंग चैनल के तहत लाया जाता है तो अर्थव्यवस्था को फायदा होता है। 

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