अटल बिहारी वाजपेयी के 5 कदमों से मजबूत हुई भारतीय अर्थव्यवस्था

Edited By Supreet Kaur,Updated: 18 Aug, 2018 10:24 AM

indian economy strengthened by atal bihari vajpayee 5 moves

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाखों प्रशंसकों को छोड़कर दुनिया से विदा हो गए हैं। 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी लोकप्रिय राजनेता के साथ कुशल प्रशासक भी रहे। आर्थिक मोर्चे पर उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जिनसे देश की दशा और दिशा बदल गई।...

नई दिल्लीः पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाखों प्रशंसकों को छोड़कर दुनिया से विदा हो गए हैं। 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे वाजपेयी लोकप्रिय राजनेता के साथ कुशल प्रशासक भी रहे। आर्थिक मोर्चे पर उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए, जिनसे देश की दशा और दिशा बदल गई। वाजपेयी ने 1991 में नरसिम्हा राव सरकार के दौरान शुरू किए गए आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाया। 2004 में जब वाजपेयी ने मनमोहन सिंह को सत्ता सौंपी तब अर्थव्यवस्था की तस्वीर बेहद खूबसूरत थी। जी.डी.पी. ग्रोथ रेट 8 फीसदी से अधिक था, महंगाई दर 4 फीसदी से कम थी और विदेशी मुद्रा भंडार लबालब था। आइए डालें उनके 5 बड़े आर्थिक कदमों पर एक नजरः

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स्वर्णिम चतुर्भुज और ग्राम सड़क योजना
वाजपेयी की सबसे बड़ी उपलब्धियों में उनकी महत्वाकांक्षी सड़क परियोजनाओं स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को सबसे ऊपर रखा जाता है। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने चेन्नई, कोलकाता, दिल्ली और मुम्बई को हाईवे नैटवर्क  से कनैक्ट किया, जबकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए गांवों को पक्की सड़कों के जरिए शहरों से जोड़ा गया। ये योजनाएं सफल रहीं और देश के आर्थिक विकास में मदद मिली।

निजीकरण
अटल विहारी वाजपेयी ने बिजनैस और इंडस्ट्री में सरकार की भूमिका कम की। इसके लिए उन्होंने अलग से विनिवेश मंत्रालय बनाया। सबसे महत्वपूर्ण फैसला भारत एल्यूमीनियम कम्पनी (बी.ए.एल.सी.ओ.) और हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पैट्रोकैमीकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड तथा वी.एस.एन.एल. में विनिमेश का था। वाजपेयी की इन पहलों से भविष्य में सरकार की भूमिका तय हो गई।

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सर्वशिक्षा अभियान
सर्वशिक्षा अभियान को वर्ष 2001 में लांच किया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दी जानी थी। इस योजना के लांच के 4 सालों के अंदर ही स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या में 60 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी।

राजकोषीय जवाबदेही
वाजपेयी सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए राजकोषीय जवाबदेही एक्ट बनाया। इससे सार्वजनिक क्षेत्र बचत में मजबूती आई और वित्त वर्ष 2000 में जी.डी.पी. के -0.8 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 2005 में 2.3 फीसदी तक पहुंच गई।

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टैलीकॉम क्रांति
वाजपेयी सरकार अपनी नई टैलीकॉम पॉलिसी के तहत टैलीकॉम फम्र्स के लिए एक तय लाइसैंस फीस हटाकर रैवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था लाई थी। भारत संचार निगम का गठन भी पॉलिसी बनाने और सर्विस के प्रोविजन को अलग करने के लिए इस दौरान किया गया था। वाजपेयी सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय टैलीफोनी में विदेश संचार निगम लिमिटेड के एकाधिकार को पूरी तरह खत्म कर दिया था।

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अटल जी ने तैयार कराया था GST का मॉडल
भारत में पिछले साल मोदी सरकार ने जब वस्तु एवं सेवाकर यानी जी.एस.टी. को लागू किया तो इसे आजादी के बाद से अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार करार दिया गया था लेकिन सच यह है कि ‘एक राष्ट्र एक कर’ की अवधारणा पर शुरूआती काम अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते हुए ही हुआ था। वाजयेपी सरकार ने जी.एस.टी. का मॉडल डिजाइन करने के लिए वर्ष 2000 में पश्चिम बंगाल के तत्कालीन वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता में समिति बनाई थी। उन्होंने विजय केलकर के नेतृत्व में टैक्स सुधारों की सिफारिशों के लिए एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने ही बाद में मौजूदा टैक्स व्यवस्था को खत्म कर जी.एस.टी. लाने की बात कही थी। पिछले दिनों संसद में अरुण जेतली ने भी भाषण देते हुए कहा था कि जी.एस.टी. के जरिए अटल जी का सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा था कि इसका खाका अटल जी ने ही तैयार किया था लेकिन 2004 में सरकार बदलने के बाद जी.एस.टी. लागू करने की योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। 

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