Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jul, 2019 11:19 AM
आई.टी. सैक्टर की दिग्गज कम्पनी एप्पल ने भारत में तैयार अपने आईफोन का अब यूरोपीय बाजार में निर्यात शुरू कर दिया है। मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना को इससे जबरदस्त सफलता मिलने की संभावना है। एप्पल कम्पनी ने 2016 में भारत में काम करना शुरू किया था।
नई दिल्लीः आई.टी. सैक्टर की दिग्गज कम्पनी एप्पल ने भारत में तैयार अपने आईफोन का अब यूरोपीय बाजार में निर्यात शुरू कर दिया है। मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ योजना को इससे जबरदस्त सफलता मिलने की संभावना है। एप्पल कम्पनी ने 2016 में भारत में काम करना शुरू किया था। शुरू में यह एप्पल के कुछ मोबाइल फोन को यहां सिर्फ असैम्बल करता था। पिछले कुछ महीने में कम्पनी ने यहां अपने सबसे चर्चित आईफोन का निर्माण भी शुरू कर दिया है। भारत में बने आईफोन को यूरोपीय बाजार में निर्यात से कम्पनी के भारत को एक्सपोर्ट हब बनाने की योजना को विस्तार मिलेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार आईफोन का निर्माण करने वाली कम्पनी विस्ट्रॉन कॉर्प ने बेंगलुरु स्थित कम्पनी की फैसिलिटी से यूरोपीय बाजार में आईफोन-6एस तथा आईफोन-7 निर्यात कर रहा है। काऊंटरप्वाइंट रिसर्च के रिसर्च डायरैक्टर नील शाह ने बताया कि एक महीने में लगभग एक लाख मोबाइल फोन एक्सपोर्ट किए जा रहे हैं। यूरोपीय बाजारों को यह एक्सपोर्ट की पहली खेप कुछ महीने पहले ही भेजी गई है।
उत्पादन का 80 प्रतिशत हो रहा एक्सपोर्ट
जानकारों का दावा है कि बेंगलुरु में बनने वाले कुल आईफोन का 80 प्रतिशत तक एक्सपोर्ट (निर्यात) किया जा रहा है। यहां एक साल पहले आईफोन-6 तथा इस साल के शुरू में आईफोन-7 का उत्पादन शुरु किया था। भारत को एक्सपोर्ट हब बनने से एप्पल कंपनी तथा भारत दोनों को फायदा होगा। एप्पल कम्पनी जो अभी तक चीन में अपने उत्पाद तैयार कर दुनिया भर में निर्यात करती है उसे एक नया केन्द्र मिल जाएगा। वह भारतीय बाजार की जरूरतों के साथ ही दूसरे देशों को भी यहां से अपने उत्पादन भेज सकेगी। एप्पल कम्पनी अपने उत्पादन तैयार करने वाले प्रमुख वैंडरों को पहले ही 30 प्रतिशत कारोबार चीन से बाहर स्थानांतरित करने को कह चुकी है।
चीन व अमरीका में ट्रेड वॉर का फायदा
अमरीका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर के चलते एप्पल चीन से बाहर अपने उत्पादन यूनिटों को शिफ्ट कर रहा है। उसने चीन में आईफोन का उत्पादन कम कर दिया है। एप्पल भारत को अब एक बाजार के रूप में नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट हब के रूप में देख रहा है। इसके चलते भारत निवेशकों को भी आकर्षित करेगा।