भारत का 10 आर.सी.ई.पी. सदस्य देशों के साथ व्यापार घाटा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jun, 2018 04:41 AM

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भारत का प्रस्तावित क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आर.सी.ई.पी.) समूह के 16 देशों में से 10 के साथ व्यापार घाटा है। इनमें चीन, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं। आर.सी.ई.पी. के लिए ये देश नवंबर, 2012 से एक बड़े मुक्त व्यापार करार की...

नई दिल्ली: भारत का प्रस्तावित क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आर.सी.ई.पी.) समूह के 16 देशों में से 10 के साथ व्यापार घाटा है। इनमें चीन, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल हैं। आर.सी.ई.पी. के लिए ये देश नवंबर, 2012 से एक बड़े मुक्त व्यापार करार की वार्ता कर रहे हैं। 

आर.सी.ई.पी. ब्लॉक में 10 आसियान समूह के सदस्य ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलीपींस, लाओस और वियतनाम तथा 6 एफ.टी.ए. सदस्य भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 7 आर.सी.ई.पी. देशों इंडोनेशिया, थाईलैंड, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के साथ वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का व्यापार घाटा 2016-17 की तुलना में बढ़ा है। आयात और निर्यात का अंतर व्यापार घाटा कहलाता है। 

चीन, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और आस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार घाटा 2017-18 में बढ़कर क्रमश: 63.12 अरब डॉलर, 11.96 अरब डॉलर, 12.47 अरब डॉलर और 10.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह क्रमश: 51.11 अरब डॉलर, 8.34 अरब डॉलर, 9.94 अरब डॉलर और 8.19 अरब डॉलर था। जापान, थाईलैंड और न्यूजीलैंड के साथ भी यही स्थिति है। हालांकि, लाओस, ब्रुनेई और मलेशिया के साथ भारत का व्यापार घाटा कम हुआ है।

जापान और दक्षिण कोरिया सहित कई आर.सी.ई.पी. देश भारत में बड़े निवेशक हैं। वहीं दूसरी ओर कई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को करार पर बातचीत करते समय सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि कई आर.सी.ई.पी. सदस्य देशों के साथ व्यापार घाटा बढ़ रहा है, जिससे घरेलू विनिर्माता प्रभावित होंगे।      

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