अमेरिका में दवा वापसी से देसी कंपनियां चिंतित

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Aug, 2018 12:29 PM

indigenous companies worried about drug withdrawal in the us

विश्लेषकों का मानना है कि एक ओर जहां अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की बिक्री में 40 फीसदी का योगदान रखने वाली भारतीय दवा कंपनियों द्वारा दवाओं की मंजूरी में तेजी दर्ज की जा रही है

मुंबईः विश्लेषकों का मानना है कि एक ओर जहां अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की बिक्री में 40 फीसदी का योगदान रखने वाली भारतीय दवा कंपनियों द्वारा दवाओं की मंजूरी में तेजी दर्ज की जा रही है, वहीं उनके द्वारा दवाएं वापस मंगाए जाने की रफ्तार में भी तेजी आई है। इस महीने दो भारतीय दवा कंपनियों (टॉरंट फार्मा और हेटरो लैबोरेटरीज) की एंटी-हाइपरटेंशन दवाएं भी वापसी सूची में जुड़ गईं। अगस्त में मुंबई स्थित ल्यूपिन ने भी विदेशी सामग्री (धातु शामिल) की उपस्थिति वाली अपनी हाइपरटेंशन दवा को वापस मंगाना शुरू किया। ल्यूपिन की दवा वापसी चीन की ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रिडिएंट (एपीआई) समस्या का हिस्सा नहीं है।

इस सप्ताह के शुरू में, टॉरंट फार्मास्युटिकल्स ने स्वेच्छिक रूप से उच्च रक्तचाप और ह्रïदय रोग के इलाज में इस्तेमाल 14 दवाओं को अमेरिकी बाजार से वापस लिया, क्योंकि इनमें अशुद्घियां होने की बात कही गई थी। चीन में झेजियांग हुआहई फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित एपीआई में अशुद्घि का पता चला था। एपीआई में पाई गई अशुद्घि एन-नाइट्रोसोडियमथाइलेमाइन (एनडीएमए) है। यह तत्व अक्सर कुछ खास भोजन, पेयजल, हवा, औद्योगिक प्रक्रियाओं में पाया जाता है और इंटरनैशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर क्लासीफिकेशन के अनुसार संभावित मानव कैंसरजन के तौर पर पहचाना गया है। इस महीने के शुरू में हेटरो लैबोरेटरीज की वल्सार्टन दवाओं को भी एनडीएमए की मात्रा मौजूद होने की वजह से वापसी सूची में शामिल किया गया था। विश्लेषकों का कहना है कि इसका मतलब है कि कंपनियों को एपीआई के लिए अपने स्रोत बदलने की जरूरत होगी, नए एपीआई की मौजूदगी वाले उत्पादों के लिए ताजा मंजूरी लेने और फिर अमेरिकी बाजार में इन्हें पुन: पेश करने की जरूरत होगी। टॉरंट फार्मा ने झेजियांग हुआहई फार्मास्युटिकल्स से वल्सार्टन खरीदना पहले ही बंद कर दिया है।

कंपनी के एक अधिकारी ने कहा, 'हमने इस कंपनी से वल्सार्टन की खरीदारी रोक दी है। इस मुद्दे पर उनके द्वारा विचार-विमर्श किया जा रहा है। यह एक जीनोटॉक्सिक अशुद्घता है जिसके बारे में हमें पता नहीं था।' एहतियाती उपाय के तहत कंपनी ने सभी उत्पादों के लिए जीनोटॉक्सिक अशुद्घियों की जांच का निर्णय लिया है और वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए भेजने से पहले एपीआई आपूर्तिकर्ताओं पर सभी संभावित जांच की जाएगी। एडलवाइस में विश्लेषक दीपक मलिक का कहना है कि इससे कंपनी को बहुत ज्यादा राजस्व नुकसान नहीं होगा। चीन के एपीआई मुद्दे के अलावा, सन फार्मा, सिप्ला, डॉ. रेड्डीज और ग्लेनमार्क जैसी प्रमुख दवा कंपनियों ने भी विभिन्न वजहों से पिछले कुछ महीनों दवाएं वापस मंगानी शुरू कीं। पिछले मुछ महीनों में बड़ी कंपनियों द्वारा अमेरिकी बाजार में कम से कम 8 या 9 दवा वापसी के मामले सामने आए। 

वर्ष 2017 में भी ल्यूपिन, कैडिला हेल्थकेयर की अमेरिकी इकाई, डॉ. रेड्डीज ने दवाएं वापस मंगाई थीं। ल्यूपिन ने जुलाई और सितंबर 2017 के बीच अपनी तीन दवाएं वापस मंगाई थीं। वर्ष 2016-17 में दवा कंपनियों द्वारा दवा वापसी के 54 मामले दर्ज किए गए जो वर्ष 2015-16 के 24 की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा हैं। 

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