इंदिरा ने भारतीय रुपए के लिए उठाया था बड़ा कदम

Edited By ,Updated: 07 Jun, 2016 07:54 AM

indira gandhi

50 साल पहले यानी 6-6-1966 को भारतीय रुपए को नया जीवनदान मिला था। आजादी के बाद और भारत-पाकिस्तान की जंग खत्म होने के पश्चात भारतीय रुपया लडख़ड़ा रहा था

नई दिल्ली: 50 साल पहले यानी 6-6-1966 को भारतीय रुपए को नया जीवनदान मिला था। आजादी के बाद और भारत-पाकिस्तान की जंग खत्म होने के पश्चात भारतीय रुपया लडख़ड़ा रहा था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दुनिया भर के विरोध के बावजूद रुपए की कीमत में बड़ा बदलाव किया था। 50 साल पहले भारतीय अर्थव्यवस्था जमीन पर थी। विदेशी विनिमय भी सीमित थे। विदेशी निवेश न के ही बराबर था। इसके अलावा 1965 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के बाद भारत सरकार वित्तीय रूप से लडख़ड़ा गई थी।
 

सैन्य खर्च बेतहाशा होने के कारण वित्तीय संकट खड़ा हो गया था। यही नहीं यह पहला मौका था जब अमरीका जैसे ताकतवर देशों ने भी पाकिस्तान के साथ खड़े होते हुए भारत को दी जा रही मदद को रोक दिया था। इस तरह इंदिरा गांधी की तत्कालीन सरकार ने 1966 में एक बड़ा कदम उठाते हुए रुपए का पुनर्मूल्यन कर दिया। उस समय डालर के मुकाबले रुपए का मूल्य 4.76 था जो बढ़ कर 7.50 हो गया था। इंदिरा के इस कदम की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी आलोचना हुई थी। यह दूसरा अवसर था जब रुपए का अवमूल्यन किया गया।
इससे पहले तब किया गया था जब रुपए की तुलना पौंड से हटाकर डालर से की जाने लगी थी।

रुपए में कितना बड़ा आया बदलाव
-रुपया जो 1966 में डालर के मुकाबले 7.50 था आज 67 के करीब चल रहा है।
-करंट अकाऊंट डेफीसिटी साल  2016  का 1.5 प्रतिशत है।
-भारत के पास आज विदेशी मुद्रा भंडार 360 बिलियन डालर है, यह अगले 9
माह के आयात के लिए पर्याप्त है।
-साल 2015 में भारत विदेशी निवेश के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ स्थान बताया गया था।

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