उद्योग जगत की सरकार से ईंधन पर उत्पाद शुल्क घटाने की मांग

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 May, 2018 04:23 PM

industry seeks cut in fuel excise duty as oil prices zoom

भारतीय उद्योग जगत ने पैट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए सरकार से ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग की है। उनका कहना है कि इससे भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी।

नई दिल्लीः भारतीय उद्योग जगत ने पैट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर चिंता जताते हुए सरकार से ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती की मांग की है। उनका कहना है कि इससे भारत की आर्थिक वृद्धि प्रभावित होगी। उद्योग मंडल फिक्की और एसोचैम ने भी ईंधन की बढ़ती कीमतों के दीर्घकालिक समाधान के लिए पैट्रोल-डीजल को माल एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) प्रणाली के तहत लाने के लिए कहा है। साथ ही कहा कि रुपए की कमजोरी से देश का ईंधन आयात पर खर्च भी बढऩे की संभावना है जो अंतत: मुद्रास्फीति को प्रभावित करेगा।

फिक्की के अध्यक्ष राशेष शाह ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें एक बार फिर तेजी के रुख पर हैं। साथ ही ऊंची मुद्रास्फीति से वृहद- आर्थिक जोखिम, ऊंचा व्यापार घाटा और रुपए के मूल्य में गिरावट के चलते भुगतान संतुलन पर दबाव का भी असर होगा।’’ उन्होंने कहा कि इसके अलावा रुपए में कमजोरी से देश का आयात बिल भी बढ़ेगा। इसके अलावा मौद्रिक नीति के सख्त बने रहने का भी जोखिम है जो निजी निवेशक को प्रभावित करेगा।

शाह ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर आ रही है और ऐसे में तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए फिर गंभीर जोखिम पैदा कर सकती हैं।’’ केंद्र सरकार को राज्य सरकारों से पैट्रोल-डीजल को जी.एस.टी. के दायरे में लाने के लिए कहना चाहिए और तत्काल तौर पर वह इस पर उत्पाद शुल्क घटा सकती है। एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत ने कहा कि जहां उत्पाद शुल्क में कटौती से पैट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से तात्कालिक राहत मिलेगी, वहीं इसका दीर्घकालिक और सतत समाधान इसे जी.एस.टी. के दायरे में लाना है।

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