ट्रकों की हड़ताल से कपड़ा उद्योग पर चोट, अटकने लगी डिलिवरी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Jul, 2018 02:22 PM

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पिछले 6 दिनों से जारी ट्रक मालिकों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से कपड़ा क्षेत्र और ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी असर पड़ा है। हड़ताल से न केवल स्टॉकिस्टों एवं खुदरा विक्रेताओं बल्कि निर्यात के लिए भी कच्चे माल एवं तैयार माल की आवाजाही रुक गई है।

नई दिल्लीः पिछले 6 दिनों से जारी ट्रक मालिकों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल से कपड़ा क्षेत्र और ई-कॉमर्स कंपनियों पर भी असर पड़ा है। हड़ताल से न केवल स्टॉकिस्टों एवं खुदरा विक्रेताओं बल्कि निर्यात के लिए भी कच्चे माल एवं तैयार माल की आवाजाही रुक गई है। आम तौर पर मिलें कम से कम एक महीने की खपत लायक कच्चे माल का स्टॉक करती हैं लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर कभी अपने तैयार उत्पादों को स्टॉक नहीं करती हैं। कताई मिलों को कपास की खरीद में किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है लेकिन कपड़ा विनिर्माण के लिए उनकी कपड़ा मिलों को धागे की आपूर्ति पूरी तरह रुक गई है। 

टीटी लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री के चेयरमैन संजय जैन ने कहा, 'इस हड़ताल से उत्पादन, नकदी की आवक, रोजगार और घरेलू आपूर्तिकर्ताओं एवं निर्यातकों की साख पर चोट पड़ी है।' लाहोटी ओवरसीज के कार्यकारी चेयरमैन और कॉटन टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन उज्ज्वल लाहोटी ने कहा, 'सभी माल की आवाजाही बंद हो गई है। माल भेजने में देरी से निर्यातकों को मौद्रिक नुकसान के अलावा विदेशी बाजारों में भारत की साख को नुकसान पहुंच रहा है।'

बहुत सी इकाइयों के पास अतिरिक्त पैसा नहीं होता है और अब उन्हें कच्चा माल नहीं मिल रहा है। ऐसे में उनके अस्थायी कामगारों का रोजगार खत्म होने की आशंका है। वहीं नियमित कामगारों को भी उत्पादन प्रोत्साहन और ओवरटाइम नहीं मिलने के कारण कम मेहनताने से संतोष करना पड़ेगा। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल गनत्रा ने कहा, 'कच्चे माल के अभाव में जिनिंग फैक्टरियां बंद होने के कगार पर हैं। कारोबारी कपास नहीं बेच पा रहे हैं और धागे की आवाजाही रुकने से सभी भुगतान अटके हुए हैं।' जैन ने समस्या के जल्द समाधान के लिए सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। उन्होंने कहा, 'माल भेजने में देरी से लैटर ऑफ क्रेडिट की अवधि खत्म हो जाएगी, माल भेजने की लागत बढ़ेगी और ऑर्डर रद्द होंगे। इसके अलावा विदेशी खरीदारों के बीच साख खराब होगी।'

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