बीमा कारोबार: नेपाली नागरिकों पर पैन और आधार की बाध्यता बनी मुसीबत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Feb, 2018 05:36 AM

insurance business nepali nationals suffer from pen and base obligations

: नेपाल के नागरिकों के बीमा पर करीब-करीब ब्रेक लग गया है। आधार कार्ड और पैन कार्ड की बाध्यता के बाद केवल भारतीय मूल के नेपाली नागरिकों का ही बीमा हो रहा है। प्रावधानों में संशोधन नहीं हुआ तो 1 अप्रैल से नेपाली नागरिकों के सभी तरह के बीमा बंद हो...

नई दिल्ली: नेपाल के नागरिकों के बीमा पर करीब-करीब ब्रेक लग गया है। आधार कार्ड और पैन कार्ड की बाध्यता के बाद केवल भारतीय मूल के नेपाली नागरिकों का ही बीमा हो रहा है। प्रावधानों में संशोधन नहीं हुआ तो 1 अप्रैल से नेपाली नागरिकों के सभी तरह के बीमा बंद हो जाएंगे। भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में जांच करने पर पता चला कि बिहार में सबसे अधिक नुक्सान हो रहा है। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड भी इससे प्रभावित हैं। 1950 के भारत-नेपाल समझौते के तहत भारत सरकार ने नेपाली नागरिकों को बीमा की छूट दे रखी है। समझौता अब भी बरकरार है लेकिन आधार और पैन कार्ड का नियम लागू होने से नीतिगत पेच फंस गया है। 

बिहार300 करोड़ से ज्यादा का नुक्सान
बिहार के केवल फारबिसगंज जीवन बीमा कार्यालय को ही 300 करोड़ रुपए से ज्यादा के प्रीमियम का नुक्सान हो रहा है। आधार और पैन कार्ड की बाध्यता के चलते नेपाली नागरिक बड़े पैमाने पर पॉलिसी को सरैंडर कर रहे हैं। इसके अलावा ऋण का आवेदन देकर करोड़ों रुपए महीने की निकासी करने में जुट गए हैं। फारबिसगंज कार्यालय में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपए का बीमा है। इसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा व्यवसाय नेपाल से है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 23 करोड़ 41 लाख रुपए प्रीमियम आया। मुजफ्फरपुर डिवीजन के पूर्वी और पश्चिमी चम्पारण, मधुबनी, सीतामढ़ी जिलों से भी नेपाली नागरिक सालभर में लगभग 10 करोड़ रुपए पालिसी प्रीमियम के रूप में जमा करवाते हैं लेकिन आधार कार्ड और पैन कार्ड की अनिवार्यता से अचानक यह बंद हो गया। 

उत्तराखंडअढ़ाई करोड़ से आ गए 30,000 पर
पिथौरागढ़ जिले को गत वर्षों में नेपाल से करीब अढ़ाई करोड़ रुपए का बीमा कारोबार मिलता था। आधार और पैन की बाध्यता के बाद यह बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पिथौरागढ़ एल.आई.सी. के प्रबंधक गजेंद्र सिंह धानिक बताते हैं कि अब सालाना मात्र करीब 30,000 रुपए की ही किस्तें मिल रही हैं। यही हाल चम्पावत जिले के बनबसा का है। बीमा अभिकत्र्ता गोपाल चंद कहते हैं मार्च के बाद इसमें ज्यादा गिरावट आएगी। खटीमा के बीमा कार्यालय को जनवरी 2017 तक नेपाल से करीब 14 लाख का करोबार मिलता था। वर्तमान में यह 50,000 रुपए तक सिमट गया है। पिथौरागढ़ और चम्पावत जिले में 200 से अधिक युवा बीमा छोड़ अन्य रोजगार में लग गए हैं। बीमा कम्पनियां नेपाली ग्राहकों को पालिसी पूरी होने की स्थिति में चैक से भुगतान करने का प्रयास कर रही हैं। 

उत्तर प्रदेशकई इलाकों में असर
नेपाल से लगे आनंदनगर, बांसी, डुमरियागंज, नौतनवां, महराजगंज और बलरामपुर शाखाओं में 70 करोड़ रुपए का बीमा कारोबार प्रभावित हुआ है। महराजगंज के मैनेजर संजय कुमार सिंह कहते हैं कि इस बाध्यता से बीमा कारोबार के साथ युवाओं के रोजगार का संकट खड़ा हुआ है। बलरामपुर के सहायक मैनेजर अजय कुमार के मुताबिक अभी भी ऐसे नेपाल निवासियों के बीमा किए जा रहे हैं जिनमें आयकर या ऐसे अन्य झंझट नहीं होते हैं। 

फारबिसगंज कार्यालय घाटे में चला गया है। कई बीमा एजैंट एम.डी.आर.टी. यानी मिलिनियर डालर टेबल, सी.एम. क्लब और क्लब गलैक्सी के कई सदस्य पूर्ण रूप से धराशायी हो गए हैं।-अरुण जय अम्बष्ठा, शाखा प्रबंधक 

मुजफ्फरपुर की रक्सौल शाखा में अधिक प्रभाव पड़ा है। कुछ भुगतान भी बाधित था। उसे क्लीयर किया जा रहा है। नई पॉलिसी एन.आर.आई. प्रावधानों के तहत नेपाली लोगों को देंगे।-प्रेमेन्द्र हरि, सीनियर मैनेजर

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