Edited By ,Updated: 22 Jan, 2017 03:24 PM
सरकार को साधारण आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रति वर्ष करना चाहिए और कंपनियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन और कटौती जारी रखनी चाहिए ताकि नोटबंदी के बाद उपभोग मांग और निजी निवेश को बढ़ाया जा सके।
नई दिल्लीः सरकार को साधारण आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रति वर्ष करना चाहिए और कंपनियों को दिए जाने वाले प्रोत्साहन और कटौती जारी रखनी चाहिए ताकि नोटबंदी के बाद उपभोग मांग और निजी निवेश को बढ़ाया जा सके। यह बात ईवाई के एक सर्वेक्षण में सामने आई है।
कर सलाहकार कंपनी ईवाई के एक बजट पूर्व सर्वेक्षण में 81.42 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कॉर्पोरेट कर की दर को मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया जाए और इसमें अधिभार एवं उपकर को अलग रखा जाए। ‘मेक इन इंडिया’ को गति प्रदान करने के लिए 72 प्रतिशत लोगों को उम्मीद है कि सरकार क्षेत्र विशेष के आधार पर प्रोत्साहन और कटौतियां जारी रखेगी।
हालांकि अधिकतर उत्तरदाताओं का मानना है कि कॉर्पोरेट कर की दरों को कम करने के लिए चरणबद्ध तरीके से कर छूटों को खत्म करना जरूरी है ताकि राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। निजी कर दर को कम करने या संशोधित करने के प्रश्न पर सर्वेक्षण में शामिल करीब 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि निजी आयकर की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपए प्रति वर्ष करना चाहिए। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इससे आम आदमी के हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचेगा और इससे उपभोग एवं मांग में वृद्धि होगी। इसके अलावा 36 प्रतिशत लोगों का मानना है कि शीर्ष आयकर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत किया जाए जो मौजूदा समय में 10 लाख रुपए से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत है।
इस सर्वेक्षण में 200 से ज्यादा मुख्य वित्त अधिकारियों, वरिष्ठ कर पेशेवरों इत्यादि के विचारों को भी शामिल किया गया है। ईवाई इंडिया के पार्टनर एवं राष्ट्रीय कर लीडर सुधीर कपाडिय़ा ने कहा कि हाल में बैंकिंग व्यवस्था में कोष डालना और जी.एस.टी. को लाने की दिशा में बढऩा, एेसे दो कदम हैं जो सरकार को कर आधार बढ़ाने में मदद करेंगे।