अप्रैल में फिर घट सकती है ब्याज दर, होम लोन ग्राहकों को फिर मिल सकती है राहत

Edited By Isha,Updated: 09 Mar, 2019 05:07 PM

interest rates home loan customers can be recovered again in april

अप्रैल में फिर घट सकती है ब्याज दर, होम लोन ग्राहकों को फिर मिल सकती है राहत खुदरा महंगाई जनवरी में लगातार 19 महीने के निचले स्तर पर रहने के बाद फरवरी 2019 में मामूली तौर पर बढ़ सकती है, हालांकि यह आरबीआई के अनुमान से काफी कम रहेगी।

बिजनेस डेस्कः अप्रैल में फिर घट सकती है ब्याज दर, होम लोन ग्राहकों को फिर मिल सकती है राहत खुदरा महंगाई जनवरी में लगातार 19 महीने के निचले स्तर पर रहने के बाद फरवरी 2019 में मामूली तौर पर बढ़ सकती है, हालांकि यह आरबीआई के अनुमान से काफी कम रहेगी। इससे अप्रैल में रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा के दौरान ब्याज दर में फिर कटौती के प्रबल आसार हैं। ऐसे में बैंक होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन के ग्राहकों को एक और राहत दे सकते हैं। हालांकि फरवरी में 0.25 फीसदी की कटौती का पूरा लाभ अभी तक बैंकों ने ग्राहकों को नहीं दिया है।

37 अर्थशास्त्रियों का अनुमान
दरअसल, देश के बड़े बैंकों व वित्तीय संस्थानों के शीर्ष 37 अर्थशास्त्रियों के अनुमान में सामने आया है कि फरवरी में खुदरा महंगाई 2.43 फीसदी रह सकती है, जबकि जनवरी में यह 2.05 फीसदी रही थी। इससे ब्याज दर में कटौती का सबसे मजबूत आधार बना है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगले कुछ महीनों के दौरान तीन फीसदी के नीचे रह सकती है। यह मध्यम अवधि में महंगाई चार फीसदी के नीचे रखने के आरबीआई के लक्ष्य से काफी कम है। कोर महंगाई अभी भी चिंता का विषय अर्थशास्त्रियों ने कहा कि खुदरा महंगाई तो संतोषजनक स्तर पर है लेकिन व्यापार युद्ध में बढ़ते तनाव, कच्चे तेल के बढ़ते दामों जैसे कारणों से कोर महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है। अगर अप्रैल-मई में भी कच्चे तेल और उसके परिणामस्वरूप पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ते हैं तो महंगाई चिंता का कारण होगी।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती से राहत की मांग
​​​​​​वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में विकास दर घटकर 6.6 फीसदी पर आ गई है, जो अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत हैं। ऐसे में विनिर्माण, औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा देने और उद्योगों की कर्ज उठान की लागत में कमी लाने के लिए ब्याज दर में कटौती के जरिये प्रोत्साहन देने की मांग हो रही है। अगर ब्याज दर घटती है तो जून-अगस्त 2018 के बाद पहला मौका होगा, जब लगातार दो समीक्षा में अर्थव्यवस्था को राहत दी गई हो।

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