Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Jan, 2019 11:39 AM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारत के समक्ष रोजगारों का सृजन, असहिष्णुता और सुप्रीम कोर्ट, निर्वाचन आयोग तथा आरबीआई जैसे संस्थानों की अस्मिता की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है।
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि भारत के समक्ष रोजगारों का सृजन, असहिष्णुता और सुप्रीम कोर्ट, निर्वाचन आयोग तथा आरबीआई जैसे संस्थानों की अस्मिता की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक के एक सत्र को संबोधित करते हुए राजन ने यह बात कही।
RBI की स्वायत्तता को खतरे के मुद्दे पर राजन ने कहा, 'केंद्रीय बैंक निश्चित तौर पर सरकार की एक इकाई के तौर पर केंद्र सरकार के अधीन काम करता है लेकिन इसे अपना काम करने की स्वायत्तता होनी चाहिए। हम मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हैं। हमें यह सुनिश्चित करना पड़ेगा कि हमारे संस्थान वास्तव में मध्यम आय वाले संस्थान हैं, जिसका अर्थ यह है कि जहां भी जरूरी हो हमें उन्हें मजबूत करना पड़ेगा।'
राजन ने कहा, 'आरबीआई गवर्नर का केंद्रीय वित्त मंत्री के मातहत लेकिन नौकरशाह से ऊपर काम करना उचित होगा, क्योंकि यह बिल्कुल भी उचित नहीं है कि आरबीआई के गवर्नर को केंद्र सरकार का एक सचिव निर्देश दे।' उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार तथा आरबीआई के बीच कुछ रचनात्मक तनाव पैदा हुए और इस रचनात्मक तनाव का सम्मान करना हर पक्ष के लिए जरूरी है, जिसका मतलब है कि नियमित तौर पर बातचीत जारी रहे। समय आ गया है कि इस तरह के मौके पर अगर बातचीत बंद होती है, तो हम दोनों पक्षों की स्वतंत्रता की सुरक्षा किस तरह करते हैं, हमें इसपर विचार करना होगा।
रोजगार बड़ी समस्या
शिकागो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजन ने कहा कि अपने पड़ोसी देशों की तरह भारत के लिए भी प्रमुख चुनौती रोजगार सृजन की ही है। उन्होंने कहा कि हाल के समय में भारत ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया है और ऐसी कोई वजह नहीं है कि वह आगे बढ़ना जारी नहीं रखेगा। एक सवाल के जवाब में पूर्व आरबीआई गवर्नर ने 7 फीसदी की तेजी के साथ बढ़ रही विकास दर देखने को अच्छी लग रही है लेकिन इसके कुछ आधार चिंताजनक है। इसमें अधिक खपत होती है लेकिन जरूरी रोजगार पैदा नहीं हो रहे। बड़ी संख्या में लोग नौकरी पाने के लिए सख्त मेहनत कर रहे हैं, इन सबको देखते हुए रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा करने की आवश्यकता है। अगर नौकरियों के ज्यादा अवसर पैदा नहीं किए गए तो विकास दर पर असर पड़ेगा।
भारतीय अर्थव्यवस्था चीन को पीछे छोड़ देगी
राजन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के हिसाब से अंतत: चीन से आगे निकल जाएगा। एक दिन पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2019 में 7.5 प्रतिशत और 2020 में 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि चीन की रफ्तार 2019 और 2020 में 6.2 फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा कि चीन ने दक्षिण एशियाई देशों में बुनियादी ढांचे के सृजन का जो वादा किया है भारत इसका सृजन करने के मामले में उससे बेहतर स्थिति में होगा। राजन ने कहा, ‘‘ऐतिहासिक रूप से क्षेत्र में भारत की बड़ी भूमिका रही है लेकिन भारत की तुलना में चीन काफी आगे निकल चुका है, उसने क्षेत्र में भारत के मुकाबले अपने को खड़ा किया है।’’
उन्होंने कहा कि यह प्रतिस्पर्धा क्षेत्र के लिए अच्छी है और इससे निश्चित रूप से फायदा होगा। राजन का यह बयान इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि चीन क्षेत्र में नेपाल और पाकिस्तान सहित कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम कर रहा है। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार 2017 में भारत 2,590 अरब डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के साथ भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया। वहीं चीन 12,230 अरब डॉलर जीडीपी के साथ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार की वकालत
डब्ल्यूईएफ की सालाना बैठक के एक सत्र को संबोधित करते हुए राजन ने भारत और पाकिस्तान सहित दक्षिण एशिया के देशों के बीच व्यापार सहयोग बढ़ाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देशों को भारत के एकाधिकार की चिंता छोड़ देनी चाहिए क्योंकि प्रतिस्पर्धा बढऩे के साथ ही इस चिंता का हल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ विविध प्रकार की मजबूती और चुनौतियों को साझा करता है।