Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Mar, 2019 01:56 PM
केंद्र सरकार ने घरेलू ऑफलाइन ट्रेडर्स से दो टूक कहा है कि वह ऑनलाइन रिटेलर्स की पूंजीगत और तकनीकी बढ़त को किसी भी रूप में बाधित नहीं करना चाहती, अलबत्ता छोटे व्यापारियों को भी मेनस्ट्रीम में लाना चाहती है
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने घरेलू ऑफलाइन ट्रेडर्स से दो टूक कहा है कि वह ऑनलाइन रिटेलर्स की पूंजीगत और तकनीकी बढ़त को किसी भी रूप में बाधित नहीं करना चाहती, अलबत्ता छोटे व्यापारियों को भी मेनस्ट्रीम में लाना चाहती है लेकिन बड़ी कंपनियों को नियमों से खेलने की छूट नहीं होगी और एमआरपी या डिस्काउंट में भेदभाव रोकने के और उपायों पर भी विचार होगा।
ड्राफ्ट ई-कॉमर्स पॉलिसी और आंतरिक व्यापार के मसले पर मंगलवार को स्टेकहोल्डर्स के साथ एक मीटिंग के दौरान नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने व्यापार संगठनों को भरोसा दिलाया कि सरकार उनके हितों की निगरानी करेगी लेकिन साथ ही कहा कि रिटेल सेक्टर की ग्रोथ और कन्ज्यूमर्स के हितों से कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'किसी सेगमेंट को बढ़ावा देना या रोकना सरकार का काम नहीं है। हम ऐसे सुझावों को नहीं मान सकते कि फलां सेग्मेंट में पूंजी, तकनीक या सहूलियतें नियंत्रित की जाएं। नियमों के दायरे में हम सब कुछ मार्केट पर छोड़ देना चाहते हैं, जो अच्छा करेगा वो बढ़ेगा। हमारा लक्ष्य रीटेल सेक्टर को 10-12 फीसदी की दर से बढ़ाना है, अगर ऐसा हुआ तो छोटे व्यापारी भी अपने आप बढ़ेंगे'।
कपड़ा, मोबाइल और कन्ज्यूमर गुड्स डीलर्स की ओर से शिकायत की गई कि आज एमआरपी का कोई मतलब नहीं रह गया है। कुछ कंपनियां एक ही सामान को अलग-अलग प्लेटफॉर्म के लिए अलग एमआरपी दे रही हैं तो कुछ एमआरपी काफी ऊंचा रखती हैं। अमिताभ कांत ने कहा कि अगर ऐसा है तो सरकार इसकी विसंगतियां दूर करने के लिए रेग्युलेटरी उपायों पर विचार करेगी।