Edited By Supreet Kaur,Updated: 13 Jun, 2018 09:46 AM
कम्पनी मामलों का मंत्रालय (एम.सी.ए.) कम्पनियों के सभी प्रवर्तकों और निदेशकों को कम्पनी पंजीयक (आर.ओ.सी.) के पास उनके पासपोर्ट से जुड़ी जानकारियां अनिवार्य तौर पर मुहैया करवाने के लिए कह सकता है। इस कदम का मकसद कम्पनियों के प्रवर्तकों और निदेशकों को...
नई दिल्लीः कम्पनी मामलों का मंत्रालय (एम.सी.ए.) कम्पनियों के सभी प्रवर्तकों और निदेशकों को कम्पनी पंजीयक (आर.ओ.सी.) के पास उनके पासपोर्ट से जुड़ी जानकारियां अनिवार्य तौर पर मुहैया करवाने के लिए कह सकता है। इस कदम का मकसद कम्पनियों के प्रवर्तकों और निदेशकों को देश से भागने से रोकना है। इस बारे में मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘हम प्रवर्तकों और निदेशकों को उनके पासपोर्ट से जुड़ी जानकारियां दर्ज करवाने के लिए कह सकते हैं। हम इसे लेकर वाकई गंभीर हैं।’’
नियम सख्त बनाने पर विचार
हाल में पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) के साथ फर्जीवाड़ा करने के बाद हीरा कारोबारी नीरव मोदी देश से फरार हो गया था। मोदी और उनकी कम्पनियों के खिलाफ आर्थिक अपराध के मामले दर्ज हैं। इससे पहले शराब कारोबारी विजय माल्या भी बैंकों से कर्ज लेकर विदेश भाग गया था। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ही इस पहल पर विचार किया जा रहा है। आर्थिक अपराध करने के बाद फरार होने वाले ऐसे लोगों पर नकेल कसने और उनकी परिसंपत्तियां जब्त करने के लिए सरकार भगौड़ा आर्थिक अपराध कानून लेकर आई है।
योजना पैसे के अभाव में नहीं बढ़ रही आगे
इस बीच कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफिशियल इंटैलीजैंस) की मदद से कम्पनियों में फर्जीवाड़े का पता लगाने की योजना पैसे के अभाव में आगे नहीं बढ़ पा रही है। मंत्रालय ने इस परियोजना पर 1.2 अरब रुपए लागत आने का अनुमान लगाया है। हालांकि इस परियोजना के लिए आई सबसे कम बोली भी परियोजना लागत से 100 प्रतिशत अधिक थी। शैल यानी मुखौटा कम्पनियों को दबोचने के लिए मंत्रालय ने पूर्व चेतावनी प्रणाली तैयार करने की योजना बनाई थी। इसके तहत सॉफ्टवेयर के जरिए कम्पनियों पर नजर रखी जाएगी और किसी तरह की असामान्य गतिविधि नजर में आते ही यह तत्काल आर.ओ.सी. को सूचित कर देगा।