पी-नोट्स के जरिए निवेश जून में घटकर 20 माह के निचले स्तर 80,092 करोड़ रुपए पर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jul, 2022 04:19 PM

investment through p notes fell to a 20 month low of rs 80 092 crore in june

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के आक्रामक तरीके से नीतिगत दर में वृद्धि के साथ घरेलू बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए निवेश जून में घटकर 80,092 करोड़ रुपए रहा। यह 20 महीने में पी-नोट्स के जरिए निवेश का सबसे निचला स्तर है। वैश्विक...

बिजनेस डेस्कः अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के आक्रामक तरीके से नीतिगत दर में वृद्धि के साथ घरेलू बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) के जरिए निवेश जून में घटकर 80,092 करोड़ रुपए रहा। यह 20 महीने में पी-नोट्स के जरिए निवेश का सबसे निचला स्तर है। वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में पी-नोट्स के जरिए निवेश में उतार-चढ़ाव रहेगा। पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) उन विदेशी निवेशकों को पी-नोट्स जारी करते हैं, जो प्रत्यक्ष रूप से पंजीकृत हुए बिना भारतीय शेयर बाजार का हिस्सा बनना चाहते हैं। हालांकि, उन्हें जांच-पड़ताल की प्रक्रिया से गुजरनी पड़ता है। 

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजार में पी-नोट्स के माध्यम से निवेश जून के अंत में 80,092 करोड़ रुपए रहा जबकि मई के अंत में यह 86,706 करोड़ रुपए था। यह अक्टूबर, 2020 के बाद निवेश का निचला स्तर है। उस समय इसके जरिए निवेश 78,686 करोड़ रुपए था। जून महीने में निवेश लगातार दूसरे महीने कम रहा है। कुल 80,092 करोड़ रुपए के निवेश में से से 70,644 करोड़ रुपए शेयरों में, 9,355 करोड़ रुपए बॉन्ड में और 92 करोड़ रुपए हाइब्रिड प्रतिभूतियों (बांड और इक्विटी दोनों में निवेश से संबधित) में निवेश किए गए। वहीं मई में शेयरों में 70,644 करोड़ रुपए तथा बॉन्ड में 9,355 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था। 

पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाप्रदाता ग्रीन पोर्टफोलियो के संस्थापक दिवम शर्मा ने कहा, ‘‘पी-नोट्स के जरिए निवेश में कमी आशा के अनुरूप है। यह घरेलू म्यूचुअल फंड प्रवाह में नरमी के अनुरूप है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दर में वृद्धि के बाद निवेशक पैसा निकाल रहे हैं और पिछले महीने नरमी के पीछे यह प्रमुख कारण है।'' उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, जुलाई महीना जून के मुकाबले के बेहतर रहने की उम्मीद है लेकिन वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता को देखते हुए पी-नोट्स के जरिए निवेश में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है।'' 

इस बीच, विदेशी निवेशकों ने अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रमक तरीके से ब्याज दर में वृद्धि, महंगाई दर में तेजी और घरेलू शेयरों के दाम के ऊंचे होने के बीच जून महीने में 50,203 करोड़ रुपए की पूंजी निकासी की। यह पिछले दो साल में सबसे अधिक पूंजी निकासी है। यह लगातार नौवां महीना है जब एफपीआई ने घरेलू बाजार से पूंजी निकाली है। 
 

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