Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Aug, 2022 05:05 PM
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) कार्बन उत्सर्जन में कमी करने के लिए हरित ईंधन को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत कंपनी ने 2030 तक अपनी रिफाइनरियों में इस्तेमाल होने वाले कम से कम 10 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन को हरित हाइड्रोजन से बदलने का लक्ष्य रखा है।
नई दिल्लीः इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) कार्बन उत्सर्जन में कमी करने के लिए हरित ईंधन को बढ़ावा दे रही है। इसके तहत कंपनी ने 2030 तक अपनी रिफाइनरियों में इस्तेमाल होने वाले कम से कम 10 प्रतिशत जीवाश्म ईंधन को हरित हाइड्रोजन से बदलने का लक्ष्य रखा है। आईओसी ने अपनी ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि वह अपनी पानीपत और मथुरा रिफाइनरियों में हरित हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित कर रही है।
वार्षिक रिपोर्ट में लिखा है, ‘‘कंपनी हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है और कुल हाइड्रोजन में 2027-28 तक पांच प्रतिशत तथा 2029-30 तक 10 प्रतिशत हरित हाइड्रोजन को लक्षित कर रही है।'' हाइड्रोजन सबसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, लेकिन यह पृथ्वी पर शुद्ध रूप में मुश्किल से मौजूद है। यह पानी में ऑक्सीजन के साथ या कार्बन के साथ जुड़ा होता है। एक बार अन्य तत्वों से अलग हो जाने पर, हाइड्रोजन की उपयोगिता बढ़ जाती है। इसे ईंधन कोशिकाओं के जरिए बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है। इसे कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के बिना गर्मी या बिजली का उत्पादन करने के लिए दहन किया जा सकता है।
आईओसी जीवाश्म ईंधन से बने हाइड्रोजन को हरित हाइड्रोजन से बदलने की कोशिश कर रही है। हरित हाइड्रोजन पानी को ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में तोड़कर तैयार किया जाता है।