Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jan, 2020 11:16 AM
अमेरिका ने ड्रोन हमले में शुक्रवार को ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया था। इसके बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है और युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। ऐसे में भारत के ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों पर भी नकारात्मक असर
नई दिल्लीः अमेरिका ने ड्रोन हमले में शुक्रवार को ईरान के शीर्ष कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया था। इसके बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ गया है और युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। ऐसे में भारत के ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों पर भी नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। बिगड़ते हालात के बीच चाय और चावल उद्योग चिंता बढ़ गई है।
चाय और चावल का प्रमुख आयातक है ईरान
ईरान भारत के बासमती चावल का सबसे बड़ा आयातक देश है और इस वक्त ईरान बासमती की खरीदारी शुरू करने जा रहा था। उधर भारतीय ऑर्थोडॉक्स चाय के लिए भी ईरान सीआईएस (कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स) के बाद सबसे बड़ा आयातक है। आंकड़ों के अनुसार कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (सीआईएस) देशों को नवंबर 2019 तक कुल 5.28 करोड़ किलोग्राम चाय का निर्यात किया गया, जिसमें से 5.043 करोड़ किलोग्राम का आयात अकेले ईरान ने किया।
बासमती का भुगतान अटकने का डर
ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (AIREA) ने निर्यातकों से हालात सामान्य होने तक ईरान को किया जाने वाला बासमती चावल का निर्यात रोक देने को कहा है, वहीं टी बोर्ड ने भी कहा है कि अगर दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो इसका निर्यात पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इन सबके बीच भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री जावेद जाफरी से बात कर हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
ईरान को हुआ था 10800 करोड़ के चावल का निर्यात
चाय के अलावा ईरान बासमती चावल का भी बड़ा आयातक है। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत ने ईरान को 10800 करोड़ रुपए के बासमती चावल का निर्यात किया, जबकि निर्यात किए गए कुल बासमती चावल की कीमत 32800 करोड़ रुपए थी। एआईआरईए की एडवाइजरी के आधार पर यदि ईरान को बासमती चावल का निर्यात बंद हुआ तो निश्चित रूप से इसका असर घरेली बाजार में इसकी कीमतों, किसानों और अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।