बासमती चावल उद्योग पर 'ईरानी संकट', एक्सपोर्ट में आई भारी गिरावट

Edited By vasudha,Updated: 14 Feb, 2020 11:23 AM

iranian crisis on basmati rice industry

ईरान से भुगतान की समस्या के कारण भारत के बासमती चावल निर्यात (एक्सपोर्ट) पर इस साल असर पड़ा है। भारत का बासमती चावल निर्यात चालू वित्त वर्ष के शुरूआती 9 महीने में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 3 प्रतिशत घट गया है। वहीं गैर-बासमती चावल के निर्यात में...

बिजनेस डेस्क: ईरान से भुगतान की समस्या के कारण भारत के बासमती चावल निर्यात (एक्सपोर्ट) पर इस साल असर पड़ा है। भारत का बासमती चावल निर्यात चालू वित्त वर्ष के शुरूआती 9 महीने में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 3 प्रतिशत घट गया है। वहीं गैर-बासमती चावल के निर्यात में 36.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। गैर-बासमती चावल का निर्यात घटने की वजह के संबंध में कारोबारी बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत का गैर-बासमती चावल अन्य देशों के चावल के मुकाबले महंगा है, जिसके कारण इसकी मांग कम है। हालांकि यह बात बासमती चावल पर लागू नहीं होती है क्योंकि बासमती चावल का भारत का अपना एक बाजार है, जहां इसकी स्पर्धा किसी अन्य देशों से नहीं है। बासमती चावल कारोबारियों का अनुमान है कि इस साल देश में बासमती चावल का उत्पादन तकरीबन 80-82 लाख टन होगा।

 

अप्रैल से दिसम्बर तक करीब 297.75 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल एक्सपोर्ट
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के शुरूआती 9 महीने यानी अप्रैल से लेकर दिसम्बर तक भारत ने करीब 297.75 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल एक्सपोर्ट किया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के करीब 306.51 करोड़ डॉलर के मुकाबले 2.86 प्रतिशत कम है। वहीं गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसम्बर के दौरान 145.28 करोड़ डॉलर मूल्य का हुआ है, जो पिछले साल की इस अवधि के निर्यात 228.96 करोड़ डॉलर से 36.55 प्रतिशत कम है।

 

ईरान से भुगतान को लेकर आ रही समस्या से एक्सपोर्ट में आई कमी
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डिवैल्पमैंट फाऊंडेशन के निदेशक ए.के. गुप्ता ने बताया कि ईरान से भुगतान को लेकर आ रही समस्या के कारण बासमती चावल का निर्यात सुस्त चल रहा है। ईरान बासमती चावल का मुख्य खरीदार है और अमरीका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण वहां का व्यापार प्रभावित हुआ है। कारोबारियों ने भी बताया कि ईरान को पिछले दिनों बासमती चावल का जो निर्यात हुआ है, उसका भुगतान नहीं हो रहा है, जिसके कारण इस साल निर्यात पर असर पड़ा है।

 

चावल के निर्यात से 32,800 करोड़ की विदेशी मुद्रा अर्जित
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक अशोक कुमार सिंह ने बासमती धान पर अनुसंधान तेज करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि वर्ष 2018-19 के दौरान देश को बासमती चावल के निर्यात से 32,800 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा अर्जित हुई। डा. सिंह ने कहा कि देश से पूसा बासमती 1121 किस्म की चावल का निर्यात सबसे अधिक किया जाता है। इसके अलावा पूसा बासमती 1509, पूसा बासमती 1718, पूसा बासमती 1637 आदि की खेती 15 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में की जाती है। पूसा की विकसित धान की किस्मों से तैयार चावल के निर्यात से देश को 28,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई थी।
 

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