Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Oct, 2020 07:09 PM
बीमा नियामक इरडाई द्वारा गठित एक कार्य समूह ने ड्रोन उद्योग को बीमा कवर देने के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचे और प्रक्रिया की सिफारिश की है और साथ ही रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम्स (आरपीएएस) के इस्तेमाल से जुड़े विभिन्न जोखिमों का जिक्र भी किया है।
नई दिल्ली: बीमा नियामक इरडाई द्वारा गठित एक कार्य समूह ने ड्रोन उद्योग को बीमा कवर देने के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचे और प्रक्रिया की सिफारिश की है और साथ ही रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम्स (आरपीएएस) के इस्तेमाल से जुड़े विभिन्न जोखिमों का जिक्र भी किया है।
भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडाई) ने ड्रोन के लिए उपयुक्त बीमा उत्पादों की सिफारिश करने के लिए जून में एक कार्य समूह का गठन किया था। कार्य समूह ने विभिन्न प्रक्रियाओं का पालन करने और बीमा दावे की स्थिति में जरूरी कागजी कार्रवाई के बारे में सुझाव दिया। कार्य समूह ने अपनी रिपोर्ट में इस संबंध में विभिन्न परिभाषाओं और शब्दावलियों को परिभाषित किया है, जैसे तीसरे पक्ष की कानूनी देयताएं, ड्रोन कवर, ऑपरेटर का व्यक्तिगत दुर्घटना कवर, आकस्मिक चिकित्सा कवर, सामान्य अपवाद और सामान्य कवरेज।
दुनिया भर में ड्रोन को एक विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया है और विमानन नियामकों ने इस क्षेत्र को विनियमित करने के लिए कदम उठाए हैं, हालांकि अलग-अलग देशों में ड्रोन संचालन के नियम अलग हैं। रिपोर्ट के अनुसार ड्रोन बीमा कवरेज को तीन हिस्सों में बांटा गया है- विभिन्न आकस्मिकताओं के कारण ड्रोन को होने वाला नुकसान, ड्रोन के इस्तेमाल के कारण किसी तृतीय पक्ष की देयता और अन्य देयता।