बांग्लादेश, श्रीलंका में भारतीय चीनी पर कम शुल्क चाहता है इस्मा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Dec, 2017 04:15 PM

isma wants lower tariff for indian sugar in bangladesh  sri lanka

घरेलू चीनी उद्योग देश में चीनी का स्टाक बहुतायत में होने की संभावना के मद्देनजर पड़ोसी बांग्लादेश और श्रीलंका में निर्यात बढ़ाने की सहूलियत तलाश रहा है। निजी चीनी मिलों के संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सरकार से अपील की है कि वह बांग्लादेश और...

नई दिल्लीः घरेलू चीनी उद्योग देश में चीनी का स्टाक बहुतायत में होने की संभावना के मद्देनजर पड़ोसी बांग्लादेश और श्रीलंका में निर्यात बढ़ाने की सहूलियत तलाश रहा है। निजी चीनी मिलों के संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने सरकार से अपील की है कि वह बांग्लादेश और श्रीलंका सरकार को भारतीय चीनी के आयात को वारीयता देने के लिए इस पर शुल्क कम रखने को राजी करे। इन देशों में अभी चीनी पर ऊंची दर से आयात शुल्क लगता है।

विपणन वर्ष 2018-19 के विपणन वर्ष में देश में चीनी का उत्पादन मांग से अधिक ऊंचा होने के अनुमानों के मद्देनजर मिलों ने यह अपील की है। इस्मा ने कहा है कि बांग्लादेश चीनी पर 150 डॉलर प्रति टन का आयात शुल्क लगाता है, जबकि श्रीलंका में यह शुल्क 100 डॉलर प्रति टन है। ये दोनों पड़ोसी देश सालाना 25 से 30 लाख टन चीनी का आयात करते हैं।

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने संगठन की 83वीं सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘भारत का चीनी उत्पादन 2018-19 में चालू साल के 251 लाख टन के अनुमान से अधिक रह सकता है। ऐसे में 2018-19 में हमारे पास निर्यात के लिए अधिशेष चीनी होगी।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे में हम सरकार से बांग्लादेश और श्रीलंका से भारतीय चीनी पर तरजीही आयात शुल्क की मांग की है। चीनी का विपणन वर्ष अक्तूबर से सितंबर तक होता है। इस्मा की अध्यक्ष सरिता रेड्डी ने कहा कि भारतीय चीनी के लिए रियायती शुल्क जरूरी है क्योंकि इस समय यहां से निर्यात के लिए वैश्विक मूल्य व्यावहारिक नहीं हैं।    

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