नीरव मोदी से ज्वैलरी खरीदने वालों पर IT विभाग की नजर

Edited By Supreet Kaur,Updated: 15 May, 2018 09:47 AM

it department looks to buy jewelery from neerav modi

अरबों रुपए का बैंकिंग फ्रॉड कर देश से भागे ज्वैलर नीरव मोदी के स्टोर्स से कैश में डायमंड और अन्य ज्वैलरी की खरीदारी करने वालों पर आयकर विभाग की नजर है, यानी विभाग उनकी जांच कर सकता है। सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्ट टैक्सेज (सी.बी.डी.टी.) ने आयकर विभाग...

नई दिल्लीः अरबों रुपए का बैंकिंग फ्रॉड कर देश से भागे ज्वैलर नीरव मोदी के स्टोर्स से कैश में डायमंड और अन्य ज्वैलरी की खरीदारी करने वालों पर आयकर विभाग की नजर है, यानी विभाग उनकी जांच कर सकता है। सैंट्रल बोर्ड ऑफ डायरैक्ट टैक्सेज (सी.बी.डी.टी.) ने आयकर विभाग को इसके लिए अनुमति दे दी है।

यह जांच 2015 से 2 वित्तीय वर्षों दौरान की गई खरीदारी के लिए होगी। आयकर विभाग की मुम्बई ब्रांच ने पिछले वर्ष नीरव मोदी के ठिकानों की तलाशी लेने के बाद लगभग 90 पेज का एक गोपनीय दस्तावेज तैयार किया था। इसी दस्तावेज में शामिल एक सूची के आधार पर जांच की जाएगी। सी.बी.डी.टी. के सूत्रों ने बताया कि स्थानीय पतों के अनुसार डाटा को बांटा गया है और यह विभिन्न राज्यों में टैक्स जांच विभागों को दिया गया है।
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कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पत्नी को भी मिला था नोटिस
इसमें हर खरीदार बारे ज्वैलरी की खरीदारी की कुल रकम, पेमैंट के तरीके जैसे विवरण हैं। आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन्कम टैक्स इन्वैस्टीगेशन के दिल्ली कार्यालय को पिछले सप्ताह मुम्बई से ऐसी एक लिस्ट मिली है। इसे 3 कैटेगरी में बांटा गया है। पहले वर्ग में वैसे खरीदार हैं जिन्होंने 5 करोड़ रुपए और इससे अधिक की ज्वैलरी खरीदी थी। इसमें कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पत्नी अनीता भी शामिल हैं। उन्हें इस पर नोटिस भी दिया गया था। हालांकि उन्होंने इस खरीदारी की एंट्री को गलत बताया था।

1 से 5 करोड़ रुपए तक की खरीदारी में दक्षिण दिल्ली के बड़े कारोबारी 
अगली कैटेगरी 1 से 5 करोड़ रुपए तक की खरीदारी की है। इन्कम टैक्स अधिकारियों ने सूची में शामिल नाम का खुलासा नहीं किया है। ऐसा पता चला है कि इसमें दक्षिण दिल्ली के बड़े कारोबारी शामिल हैं। इन्कम टैक्स अधिकारी इन बड़े खरीदारों की इन्कम टैक्स रिटर्न की जांच कर सकते हैं। अगर इनकी घोषित आमदनी और खरीदारी के बीच मिलान नहीं हो सका तो इन्हें खरीदारी के लिए रकम के सोर्स का प्रमाण देने के लिए कहा जाएगा।

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