Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Oct, 2020 06:30 PM
आरबीआई मौद्रिक नीति के सदस्य माइकल पात्रा (Michael Patra) ने कहा है कि देश की GDP को कोरोनोवायरस महामारी के कारण खोए हुए उत्पादन को हासिल करने में कई साल लगसकते हैं। पात्रा ने यह बात बीते 7 से 9 अक्टूबर के बीच हुए आरबीआई एमपीसी बैठक
बिजनेस डेस्कः आरबीआई मौद्रिक नीति के सदस्य माइकल पात्रा (Michael Patra) ने कहा है कि देश की GDP को कोरोनोवायरस महामारी के कारण खोए हुए उत्पादन को हासिल करने में कई साल लगसकते हैं। पात्रा ने यह बात बीते 7 से 9 अक्टूबर के बीच हुए आरबीआई एमपीसी बैठक (RBI MPC Meeting) में कही है। एमपीसी मिनट्स को लेकर जारी प्रेस विज्ञप्ति से इस बारे में जानकारी मिलती है।
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कोरोना ने संभावित उत्पादन पर डाला असर
पात्रा ने कहा, 'अगर अनुमान सही रहता है तो वित्त वर्ष 2020-21 के अंत में भारतीय जीडीपी कोरोना काल के पहले के स्तर से 6 फीसदी तक कम रह सकती है। इस उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई करने में कई साल लगे सकते हैं। इसका वास्तवकि अर्थ यह भी है कि देश का संभावित उत्पादन भी लुढ़का है। कोरोना काल के बाद ग्रोथ ट्रैजेक्टरी अब तक से बिल्कुल होगी। इस बदलाव का कारण सामाजिक व्यवहार और कॉमर्शियल व वर्कप्लेस में नए बदलाव की वजह से होंगे।'
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कोविड-19 का दूसरी वेव खड़ी कर सकता है समस्या
पात्रा ने आगे कहा कि कोविड संक्रमण अब उन शहरों से बढ़कर अन्य क्षेत्रों में जा रहा है, जहां सबसे पहले इसने दस्तक दी थी। भारत पर दूसरे वेव का संकट मंडरा रहा है। पहले ही इजराइल, इंडोनेशिया और यूरापीय देशों को एक बार फिर लॉकडाउन के लिए बाध्य होना पड़ा है। भारत में सबसे ज्यादा संक्रमण के मामले में दूसरे स्थान पर है और हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पहले से ही दबाव है। ऐसे में अगर कोई आंतरिक कदम नहीं उठाया जाता है तो मौजूदा रिकवरी का दौर केवल खपत पूरा करने और इन्वेन्टरी खत्म होने तक ही रहे।'
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उन्होंने पहले के आनुभविक आधार पर कहा कि खपत के जरिए आने वाली रिकवरी बहुत कम समय के लिए होती है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में अच्छी तेजी के लिए ढांचागत रिफॉर्म्स की जरूरत है लेकिन मौजूदा स्थिति अनिश्चितता की है। ऐसे में इसका सामाजिक प्रभाव भी देखने को मिल सकता है।