टाटा मोटर्स के हठ से डूब रही जगुआर लैंडरोवर?

Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Mar, 2019 12:25 PM

jaguar land rover drowning with tata motors

टाटा मोटर्स कभी सिरमौर रही अपनी सहायक कंपनी जगुआर लैंडरोवर (JLR) को भारी वित्तीय संकट से उबारने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही है। इन विकल्पों में वह जेएलआर में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने से

नई दिल्लीः टाटा मोटर्स कभी सिरमौर रही अपनी सहायक कंपनी जगुआर लैंडरोवर (JLR) को भारी वित्तीय संकट से उबारने के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रही है। इन विकल्पों में वह जेएलआर में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचने से लेकर एक वेंचर पार्टनर तलाशने पर भी विचार कर रही है, जिसके साथ मिलकर वह न सिर्फ कारें डेवलप कर सके, बल्कि कारोबार की लागत भी कम कर सके। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सबसे बड़ी बात यह है कि तमाम दिक्कतों के बावजूद टाटा मोटर्स अपना हठ छोड़ने के लिए तैयार नहीं है, जिससे जेएलआर का घाटा बढ़ता ही जा रहा है।

जिस तरह से जगुआर लैंडरोवर को नुकसान हो रहा है और उसके शेयर की कीमत गिर रही है, इससे उबरने के लिए टाटा मोटर्स के पास कुछ ही विकल्प हैं लेकिन उसे कंपनी से बाहर के विकल्प पर भी ध्यान देना होगा। 

कहां से कहां पहुंच गए 
सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा हुआ कैसे? दरअसल, हाल के वर्षों में कंपनी पर बिना सोचे-समझे भारी खर्च किया गया। यही नहीं, कंपनी की टेक्नॉलजी में अरबों पाउंड का निवेश किया गया है, जिसका कोई फायदा नहीं मिला। इसके अलावा, एक दोषपूर्ण और नाकाम चीन स्ट्रैटिजी भी कंपनी की हालत खराब करने के लिए जिम्मेदार रही। 

आंकड़ों की जुबानी बर्बादी 
कंपनी की आय से ज्यादा उसपर खर्च हो रहा है। कर्ज लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इन सब के बावजूद, टाटा मोटर्स का हठी रवैया बरकरार है। कंपनी अपने भविष्य की परियोजनाओं जैसे इलेक्ट्रिक कारों व बैट्रीज पर खर्च जारी रखे हुए है। पिछली तिमाही में उसने 4.1 अरब डॉलर का इंपेयरमेंट चार्ज दिया। इस बीच, हाल में कंपनी के लिए जारी टर्नअराउंड प्लान के काम नहीं करने पर काफी निराशा हुई है। जितनी तेजी से पैसा नहीं आ रहा, उससे अधिक तेजी से पैसा खर्च हो जा रहा है। 

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