Edited By vasudha,Updated: 31 Dec, 2018 06:54 PM
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास ज्यादा आरक्षित निधि है तथा उसके उचित स्तर के बारे में फैसला केंद्रीय बैंक के संचालन मंडल के विचाराधीन है...
नेशनल डेस्क: वित्त मंत्री अरुण जेतली ने आज कहा कि रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास ज्यादा आरक्षित निधि है तथा उसके उचित स्तर के बारे में फैसला केंद्रीय बैंक के संचालन मंडल के विचाराधीन है। जेतली ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी पूरक अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि आरबीआई के पास कितनी आरक्षित निधि होनी चाहिये यह पहले से ही विवाद का विषय रहा है। इस पर वर्ष 1997, 2004 और 2013 में तीन समितियां बन चुकी हैं।
केंद्रीय बैंकों की आरक्षित निधि आठ प्रतिशत
वित्त मंत्री ने कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही सरकार आरक्षित निधि का प्रतिशत कम करना चाहती है। कई देशों में केंद्रीय बैंकों की आरक्षित निधि आठ प्रतिशत है। रूढ़ीवादी देशों में यह 14 प्रतिशत है, तो क्या भारत में यह 27-28 फीसदी होना चाहिये? वित्त मंत्री ने कहा कि यह अतिरिक्त धन बैंकों के पुन: पूंजीकरण और अन्य विकास कार्यों में लगाया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए सरकार को आरबीआई की आरक्षित राशि की जरूरत नहीं है।
आरक्षित निधि कम होने की उठाई मांग
जेतली ने कहा कि यह मामला फिलहल आरबीआई के संचालन मंडल के विचाराधीन है और उसे ही यह तय करना है कि केंद्रीय बैंक के पास कितनी आरक्षित निधि होनी चाहिये। इससे पहले चर्चा के दौरान कई विपक्षी दलों ने जहां सरकार पर वित्तीय घाटे का लक्ष्य प्राप्त करने में असफल रहने और इसके लिए आरबीआई की आरक्षित निधि के इस्तेमाल की कोशिश का आरोप लगाया वहीं सत्ता पक्ष के सदस्यों ने सरकार के इस पक्ष का समर्थन किया कि आरक्षित निधि कम होनी चाहिये। भारतीय जनता पार्टी के अनुराग ठाकुर ने कहा कि आरक्षित निधि अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा होने के बाद भी केंद्रीय बैंक द्वारा इसे विकास कार्यों के लिए नहीं दिया जाना भारतीय अर्थव्यवस्था पर आरबीआई की छापेमारी है।