Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Oct, 2017 10:37 AM
दशकों से लंबित चल रही भारत की 70,000 करोड़ रुपए की पनडुब्बी परियोजना से जापान और स्पेन बाहर हो गए हैं। भारतीय शिपयार्ड और एक विदेशी शिप बिल्डर के साथ मिलकर 6 अडवांस पनडुब्बियों को तैयार किया जाना है। सूत्रों ने बताया कि इस प्रॉजेक्ट के लिए 4 शिप...
नई दिल्लीः दशकों से लंबित चल रही भारत की 70,000 करोड़ रुपए की पनडुब्बी परियोजना से जापान और स्पेन बाहर हो गए हैं। भारतीय शिपयार्ड और एक विदेशी शिप बिल्डर के साथ मिलकर 6 अडवांस पनडुब्बियों को तैयार किया जाना है। सूत्रों ने बताया कि इस प्रॉजेक्ट के लिए 4 शिप बिल्डर नवल ग्रुप-डीसीएनएस (फ्रांस), थिसनक्रुप मरीन सिस्टम्स (जर्मनी), रोसोबोरोनेक्सपोर्ट रूबीन डिजाइन ब्यूरो (रूस) और साब कॉकम्स (स्वीडन) ने शुरुआत रिक्वेस्ट फॉर इन्फर्मेशन पर अपने आवेदन दिए हैं। भारतीय नौसेना की ओर से पनडुब्बियों के विकास के लिए प्रॉजेक्ट-75 नाम से शुरू की जाने वाली परियोजना के लिए ये आवेदन मिले हैं।
क्रूज मिसाइलों से लैस होगी पनडुब्बी
जापान की कंपनी मित्सुबिशी-कावासाकी हेवी इंडस्ट्रीज कंबाइन और नवानतिया (स्पेन) ने इस प्रॉजेक्ट के लिए सोमवार की आखिरी तारीख तक अपना आवेदन नहीं दिया। इस परियोजना के लिए नवंबर 2007 में मंजूरी मिली थी। भारतीय नौसेना 6 डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन्स तैयार करना चाहती है, जो क्रूज मिसाइलों से लैस होंगी। इससे भारतीय नौसेना को गहरे पानी और वायु में सुरक्षा को चाक-चौबंद करने में मदद मिलेगी। रूस, जर्मनी और फ्रांस के पास पहले से भी भारत में सबमरीन्स को तैयार करने का अनुभव है, लेकिन जापान की ओर से हथियारों के निर्यात पर स्वघोषित बैन हटाए जाने के बाद उसे भी इसमें शामिल किया गया था। लेकिन, दुनिया के हथियार बाजार में बिक्री का बहुत कम अनुभव रखने वाला जापान शुरू से ही इस प्रॉजेक्ट के लिए सीधे सरकार से समझौते के पक्ष में था।