जेपी इन्फ्रा के ऋणदाताओं ने सुरक्षा की पेशकश पर वोटिंग टाली

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 May, 2021 03:53 PM

jaypee infra s lenders postpone voting on security offer

जेपी इन्फ्राटेक के वित्तीय ऋणदाताओं ने सुरक्षा समूह की बोली पर वोटिंग प्रक्रिया को टालने का फैसला किया है। वोटिंग सोमवार दोपहर शुरू होनी थी। इसके जरिए सुरक्षा समूह दिवाला प्रक्रिया के तहत रियल्टी क्षेत्र की कंपनी का अधिग्रहण करना चाहता है।

नई दिल्लीः जेपी इन्फ्राटेक के वित्तीय ऋणदाताओं ने सुरक्षा समूह की बोली पर वोटिंग प्रक्रिया को टालने का फैसला किया है। वोटिंग सोमवार दोपहर शुरू होनी थी। इसके जरिए सुरक्षा समूह दिवाला प्रक्रिया के तहत रियल्टी क्षेत्र की कंपनी का अधिग्रहण करना चाहता है। जेपी के ऋणदाता इसी सप्ताह इस बात पर विचार करेंगे कि क्या सुरक्षा समूह के साथ एनबीसीसी की बोलियों पर पुन: विचार किया जाए। कुछ दिन पहले एनबीसीसी ने ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) द्वारा उसकी पेशकश को खारिज किए जाने का कड़ा विरोध किया था। 

साथ ही एनबीसीसी ने अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) अनुज जैन के अधिकार क्षेत्र पर भी सवाल उठाया था। उसके बाद सीओसी की सोमवार को बैठक हुई जिसमें एनबीसीसी द्वारा अपनी मौजूदा पेशकश में जो 14 अतिरिक्त पृष्ठ जोड़े गए हैं उनपर विचार किया गया। सीओसी ने सोमवार को हुई बैठक में 27-28 मई को वोटिंग कराने का फैसला किया है जिसके जरिए यह तय किया जाएगा कि क्या सुरक्षा समूह और एनबीसीसी को जेपी इन्फ्राटेक लि. (जेआईएल) के लिए अपनी समाधान योजना को जमा कराने की अनुमति दी जानी चाहिए। जेपी इन्फ्रा 2017 में दिवाला प्रक्रिया में चली गई थी। 

सीओसी की 20 मई को हुई पिछली बैठक में सुरक्षा समूह की पेशकश पर 24 मई को दोपहर 12 बजे से वोटिंग शुरू करने का फैसला किया गया था। वोटिंग 27 मई को शाम पांच बजे बंद होनी थी। शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा गया है कि सीओसी ने सुरक्षा समूह की बोली पर वोटिंग टाल दी है। आईआरपी अनुज जैन ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि सीओसी ने 27 से 28 मई तक वोटिंग कराने का फैसला किया है। इसके जरिए दोनों समाधान आवेदकों को अपनी अंतिम समाधान योजना के लिए और समय देने पर विचार किया जाएगा। 

हालांकि, जैन ने सुरक्षा समूह की पेशकश पर वोटिंग टालने को लेकर कोई विशेष वजह नहीं बताई है। सूत्रों ने कहा कि ऋणदाताओं में इस बात को लेकर सहमति नहीं है कि अभी एनबीसीसी की बोली पर विचार किया जाना चाहिए या नहीं। ऐसे में इसपर ऋणदाताओं और फ्लैट खरीदारों से वोटिंग के जरिए राय ली जाएगी। इससे पहले सीओसी ने एनबीसीसी की समाधान पेशकश को खारिज कर दिया था क्योंकि इसमें कानून के कुछ प्रावधानों का अनुपालन नहीं किया गया था। सीओसी के फैसले के बाद एनबीसीसी ने शनिवार को स्वत: अपनी अंतिम बोली में 14 अतिरिक्त पृष्ठ जोड़े थे। एनबीसीसी ने अंतिम बोली 18 मई को जमा कराई थी।

समाधान पेशेवर ने पांच ऋणदाताओं एसबीआई, आईआईएफसीएल, आईडीबीआई, यूबीआई और एलआईसी के आग्रह के बाद सोमवार को सीओसी की बैठक बुलाई थी। सुरक्षा समूह ने रविवार को इन घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया देते हुए सीओसी की 24 मई की बैठक का विरोध किया था। इस बैठक में एनबीसीसी द्वारा अंतिम बोली में अतिरिक्त परिशिष्ट जोड़ने पर विचार किया जाना था। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि जैन ने एनबसीसीसी द्वारा अपनी पेशकश में जो अतिरिक्त पृष्ठ जोड़े गए हैं उन पर अपनी रिपोर्ट सीओसी को सौंप दी है। इसमें इस बात का जिक्र है कि स्पष्टीकरणों के बावजूद कंपनी की बोली अब भी अनुपालन को पूरा नहीं करती है। 
 

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