जेपी इन्फ्राटेक ऋणशोधन मामले में NBCC के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान कर सकते हैं बैंक: NCLAT

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Jun, 2019 01:13 PM

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राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने सोमवार को कर्ज के बोझ से दबी जेपी इंफ्राटेक की दिवालिया प्रक्रिया के तहत एक अहम निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि कंपनी के ऋणदाता इस मामले में जारी मतदान प्रक्रिया में एनबीसीसी के प्रस्ताव के खिलाफ भी जा...

नई दिल्लीः राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण (एनसीएलएटी) ने सोमवार को कर्ज के बोझ से दबी जेपी इंफ्राटेक की दिवालिया प्रक्रिया के तहत एक अहम निर्देश देते हुए स्पष्ट किया कि कंपनी के ऋणदाता इस मामले में जारी मतदान प्रक्रिया में एनबीसीसी के प्रस्ताव के खिलाफ भी जा सकते हैं। 

आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के समुह ने एनबीसीसी की बोली के लिए एनसीएलएटी से मतदान से फैसला करने की अनुमति मांगी थी। यह मतदान प्रक्रिया 31 मई को शुरू हुई और यह सोमवार 10 जून को खत्म हो रही है। इस मामले में 13 बैंक और 23,000 घर खरीदारों के पास मतदान अधिकार है। एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली पीठ ने कंपनी के पेशेवर समाधानकर्ताओं को निर्देश दिया कि वह मतदान के परिणाम के बारे में उसे सूचित करें। 

अधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान दौरान अनुपस्थित लोगों के मत को परिणामों की घोषणा के समय कुल मतदान प्रतिशत में शामिल नहीं किया जाएगा। एनसीएलएटी ने कहा, ‘‘मतदान प्रक्रिया जारी है, ऐसे में हम कोई आदेश जारी करने के पक्ष में नहीं हैं। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि यदि कोई वित्तीय ऋणदाता मतदान से अनुपस्थित रहता है तो उनका मत प्रतिशत गिना नहीं जाएगा।'' एनसीएलएटी ने यह भी स्पष्ट किया कि ऋणदाता एनबीसीसी के प्रस्ताव के विरोध में भी मतदान कर सकते हैं। ‘‘हमने यह नहीं कहा कि एनबीसीसी के खिलाफ मतदान नहीं करें। हमने ऋणदाताओं की समिति से बस ये कहा कि वह अंतिम रिपोर्ट दाखिल ना करें।'' 

उल्लेखनीय है आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के समुह की याचिका को राष्ट्रीय कंपनी विधि अपील अधिकरण के स्वीकार करने के बाद 2017 में जेपी इंफ्राटेक की दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इसके तहत ऋणशोधन की पहले दौर की प्रक्रिया पिछले साल पूरी की गयीं जिसमें सुरक्षा समूह का हिस्सा रही लक्षदीप की 7,350 करोड़ रुपए की बोली को खारिज कर दिया गया। बाद में अक्टूबर 2018 में अंतरिम पेशेवर समाधानकर्ता अनुज जैन ने दूसरे दौर की प्रक्रिया शुरू की जो अभी चल रही है। 

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