Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Feb, 2019 11:28 AM
आयकर विभाग ने जेट एयरवेज और उसकी दुबई बेस्ड कंपनियों के बीच कुछ अनियमित लेनदेन का पता लगाया है। उसका मानना है कि एयरलाइन ने 650 करोड़ के टैक्स से बचने के लिए ऐसे ट्रांजैक्शन किए हैं।
मुंबईः आयकर विभाग ने जेट एयरवेज और उसकी दुबई बेस्ड कंपनियों के बीच कुछ अनियमित लेनदेन का पता लगाया है। उसका मानना है कि एयरलाइन ने 650 करोड़ के टैक्स से बचने के लिए ऐसे ट्रांजैक्शन किए हैं। विभाग की जांच शाखा ने इस पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें कंपनी के टैक्स चोरी करने की आशंका जताई गई है। उसने यह रिपोर्ट अपनी असेसमेंट डिविजन को भेजी है। यह डिविजन इस रिपोर्ट पर जेट एयरवेज से जवाब मांगेगी और उसके बाद फैसला करेगी कि कंपनी से टैक्स की मांग करनी है या नहीं।
जेट एयरवेज के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘कंपनी को अभी तक इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। इसलिए हम इस पर कॉमेंट नहीं कर सकते।’ आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पांच महीने पहले उसकी नजर इस मामले पर पड़ी थी। उस वक्त वह जेट एयरवेज का सर्वे कर रहा था। एयरलाइन कंपनी हर साल दुबई में अपने जनरल सेल्स एजेंट को कमीशन देती है, जो असल में जेट एयरवेज ग्रुप की दुबई बेस्ड कंपनी का हिस्सा है। इनकम टैक्स कानून के तहत जितने कमीशन की इजाजत है, कथित तौर पर इस मामले में उससे अधिक रकम का भुगतान किया गया है। यह वैसा खर्च नहीं है, जिस पर टैक्स का दावा नहीं किया जा सकता।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की जांच शाखा की रिपोर्ट से वाकिफ एक अधिकारी ने बताया, ‘पिछले साल सितंबर में खास सूचना मिलने के बाद हमने जेट एयरवेज के ऑफिस का सर्वे किया था। उस दौरान कई दस्तावेज जब्त किए गए थे। दुबई बेस्ड एंटिटी के साथ हुआ लेनदेन हमें संदिग्ध लगा। यह मामला एयरलाइन के उस एंटिटी को कमीशन देने से जुड़ा है।’ अधिकारी ने बताया कि ऐसी कुल रकम 650 करोड़ रुपए है। उन्होंने बताया कि इस लेनदेन को कोई तुक नहीं दिख रहा है।
उन्होंने बताया, ‘इस मामले में सीमा से अधिक भुगतान किया गया। ऐसा लग रहा है कि यह काम फंड की हेराफेरी के लिए किया गया। इसका मकसद टैक्स चोरी था।’ 25 साल पुरानी एयरलाइन अभी कई वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रही है। उसने पायलटों को कुछ महीने की सैलरी नहीं दी है। जेट ने जिन कंपनियों से प्लेन लीज पर लिए हैं, उन्हें भी पूरा भुगतान नहीं किया है। वेंडरों को भी कंपनी से बकाया वसूलना है। जेट एयरलाइन पहले ही बैंक लोन पर डिफॉल्ट कर चुकी है और इकरा ने उसकी रेटिंग भी डाउनग्रेड कर दी थी।