Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Mar, 2019 01:17 PM
घाटे में चल रही जेट एयरवेज के पास इतना भी पैसा नहीं बचा है कि वो अपने एक भी विमान को उड़ा सके। हालांकि अब जेट के चेयरमैन नरेश गोयल को पद से हटना पड़ेगा। इसी शर्त पर एयरलाइन कंपनी मे 24 फीसदी की
नई दिल्लीः एतिहाद एयरवेज और उसकी नई पार्टनर नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) मिलकर जेट एयरवेज को उबारने के लिए करीब 4,000 करोड़ का निवेश करेंगी। इसके बदले में जेट के संस्थापक नरेश गोयल और उनकी पत्नी को कंपनी में सारे पद छोड़ने होंगे और उन्हें बोर्ड से हटना पड़ेगा। कंपनी के बड़े शेयरहोल्डर्स और बोर्ड जिस ड्राफ्ट प्रपोजल पर चर्चा कर रहे हैं, उससे यह जानकारी मिली है। इस प्रपोजल के मुताबिक, बैंकों ने जेट को जो कर्ज दिया है, वे उसमें से एक हिस्से को कंपनी के शेयरों में बदलेंगे।
जेट एयरवेज में गोयल का सफर होगा खत्म
जेट एयरवेज, जेट प्रिविलेज में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी को बैंकों के पास गिरवी रखकर और कर्ज लेगी। अगर इस प्रस्ताव को मंजूर किया जाता है तो जेट एयरवेज में गोयल का सफर खत्म हो जाएगा और कंपनी के कामकाज में एतिहाद और एनआईआईएफ की चलेगी। दोनों पार्टनर्स 3,800 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे, जबकि अंतरिम फंडिंग के लिए एतिहाद कंपनी को 750 करोड़ रुपए देगी।
गोयल पहले ही जेट एयरवेज में 250 करोड़ रुपए लगा चुके हैं। इसके अलावा, गोयल ग्रुप की कंपनियों को जेट को 450 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। इन दोनों रकम के बदले गोयल को कंपनी के शेयर दिए जाएंगे। एनआईआईएफ 1,900 करोड़ रुपए का निवेश कंपनी में करेगा और उसे 20 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी।
एतिहाद से मांगी 750 करोड़ रुपए की फंडिंग
एतिहाद एविएशन ग्रुप के सीईओ टोनी डगलस को लिखे लेटर में गोयल ने कहा है कि प्रपोजल में उनकी और उनके परिवार की हिस्सेदारी को हमेशा के लिए 22 फीसदी तक सीमित करने की बात लिखी है। इसमें से 'हमेशा' शब्द को हटा दिया जाए। उन्होंने एतिहाद से एयरलाइन के लिए फौरन 750 करोड़ रुपए की फंडिंग मांगी है। उन्होंने लिखा है कि यह पैसा मिलेगा, तभी बैंक भी कंपनी को इतना कर्ज देंगे। एतिहाद के ड्राफ्ट प्रपोजल शेयर करने के कुछ ही घंटे बाद यह लेटर लिखा गया है। गोयल ने इसमें कंपनी की नाजुक स्थिति का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि कंपनी के 50 से अधिक एयरक्राफ्ट उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। वेंडरों और सैलरी का बकाया बढ़ता जा रहा है। इसलिए अंतरिम फंडिंग बहुत जरूरी है। जेट एयरवेज के शेयरहोल्डर्स की पिछले महीने एक मीटिंग हुई थी, जिसमें ऑथराइज्ड शेयर कैपिटल बढ़ाने और लोन के बदले शेयर इश्यू करने पर सहमति बनी थी। ड्राफ्ट प्रपोजल और अभी जो चर्चा चल रही है, उसका मकसद कंपनी की फंडिंग और रिस्ट्रक्चरिंग प्लान को अंतिम रूप देना है।