Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jun, 2019 03:44 PM
निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज का धराशायी होना सभी के लिए नींद से जागने का समय है और इसका कुछ न कुछ दोष नीति निर्माताओं का भी है क्योंकि देश में लागत ढांचा काफी ऊंचा है। स्पाइसजेट के प्रमुख अजय सिंह ने यह कहा है। सस्ती विमानन कंपनी स्पाइसजेट अपने
सिओलः निजी क्षेत्र की एयरलाइन जेट एयरवेज का धराशायी होना सभी के लिए नींद से जागने का समय है और इसका कुछ न कुछ दोष नीति निर्माताओं का भी है क्योंकि देश में लागत ढांचा काफी ऊंचा है। स्पाइसजेट के प्रमुख अजय सिंह ने यह कहा है। सस्ती विमानन कंपनी स्पाइसजेट अपने कारोबार का विस्तार कर रही है और वह 30 विमानों को पट्टे पर लेने की तैयारी में है। इन विमानों का इस्तेमाल जेट एयरवेज करती रही है।
उल्लेखनीय है कि जेट एयरवेज ने अप्रैल में नकदी संकट के चलते उड़ान परिचालन को निलंबित कर दिया था। स्पाइसजेट के बेड़े में अब कम-से-कम 100 विमान शामिल हैं। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन की सालाना आम बैठक के दौरान अलग से बातचीत में स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक ने कहा कि हम जेट एयरवेज के 2,000 कर्मचारियों को नियुक्त करने की भी योजना बना रहे हैं। एयरलाइन पहले ही 1,100 से अधिक ऐसे लोगों को नियुक्त कर चुकी है।
जेट एयरवेज की उड़ानें बंद होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सिंह ने कहा कि आंतरिक कारण और ऊंची लागत इस असफलता के कारणों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘जेट एयरवेज का जमीन पर खड़ा होना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और यह विमानन क्षेत्र में काम करने वाले हम सभी के लिए और नीति निर्माताओं के लिए नींद से जगाने वाला है। मेरा मानना है कि जेट एयरवेज एक बेहतर ब्रांड रहा है और इसकी असफलता का कम से कम कुछ दोष तो नीति निर्माताओं का भी है।''
सिंह ने कहा, ‘‘विमानन क्षेत्र के लिए लागत ढांचा काफी ऊंचा है। जेट एयरवेज की असफलता में इसका काफी योगदान रहा। इसके साथ ही आंतरिक कारण भी रहे हैं। यह सच्चाई रही है कि जेट का लागत ढांचा संभवत: प्रतिस्पर्धी नहीं था और जैसे-जैसे और एयरलाइन आई उसके लिए लागत ढांचे के साथ कमाई करना मुश्किल होता चला गया।'' जेट एयरवेज ने 26 साल तक विमानन क्षेत्र में संचालन किया। उसका घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ानों का व्यापक नेटवर्क था। भारतीय विमानन क्ष्रोत्र को काफी उच्च वृद्धि वाला माना गया है लेकिन यहां एयरलाइन कंपनियां ऊंची लागत विशेषतौर से विमानन ईंधन (एटीएफ) की ऊंची दर से प्रभावित हैं। एयरलाइन संचालन में ईंधन की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत तक है।