Budget 2022: ज्वेलर्स की वित्त मंत्री से सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने की मांग

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Jan, 2022 03:47 PM

jewelers demand from finance minister to reduce import duty on gold

ज्वेलर्स का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण बजट में सोने की चमक बढ़ाने का उपाय कर सकती हैं। ज्वेलर्स ने अपनी मांग से वित्तमंत्री को अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि बजट में सीतारमण सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने का ऐलान कर सकती हैं। अभी

बिजनेस डेस्कः ज्वेलर्स का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण बजट में सोने की चमक बढ़ाने का उपाय कर सकती हैं। ज्वेलर्स ने अपनी मांग से वित्तमंत्री को अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि बजट में सीतारमण सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने का ऐलान कर सकती हैं। अभी गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी 7.5 फीसदी है। इसे घटाकर 4 फीसदी करना ठीक रहेगा। ज्वैलर्स का कहना है कि इससे गोल्ड की स्मगलिंग में कमी आएगी। उन्होंने कहा है कि चीन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देशों ने डोमेस्टिक मार्केट को मजबूत बनाने के इंपोर्ट ड्यूटी को हटाया है। इंडिया में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी ज्यादा होने से इसकी स्मगलिंग को बढ़ावा मिलता है।

इंपोर्ट ड्यूटी के चलते सोने की कीमत बढ़ जाती है। इससे कम पैसे वाले लोगों के लिए सोना खरीदना मुश्किल हो जाता है। सोने पर जीएसटी की दर को भी तर्कसंगत बनाया जा सकता है। अभी गोल्ड पर 3 फीसदी जीएसटी लगता है। इसके अलावा सोना खरीदने के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता के नियम में भी बदलाव किया जाना चाहिए। 5 लाख रुपए से ज्यादा गोल्ड खरीदने पर पैन कार्ड को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए।

सोने को इन्वेस्टमेंट का सबसे सुरक्षित माध्यम माना जाता है। देश में सोने में निवेश की परंपरा रही है। इसके अलावा शादी-ब्याह में भी गोल्ड ज्वैलरी का काफी इस्तेमाल होता है। इसलिए अगर सरकार इस पर इंपोर्ट ड्यूटी हटाती है और टैक्स के नियमों को आसान बनाती है तो इससे देश में गोल्ड की मांग बढ़ेगी।

पिछले साल बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी को 12.5 फीसदी से घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया था। गोल्ड इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया गया था। सरकार को सोने पर कैपिटल गेंस के नियम में भी बदलाव करने की जरूरत है। अभी सोने को 3 साल से ज्यादा वक्त तक रखने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स के नियम लागू होते हैं। 3 साल से ज्यादा अवधि के बाद बेचने पर 20 फीसदी टैक्स (इंडेक्सेशन बेनेफिट के साथ) लगता है। उधर, शेयरों को एक साल से ज्यादा अवधि तक रखने पर सिर्फ 10 फीसदी टैक्स लगता है। इस तरह सोने का होल्डिंग पीरियड और इस पर लगने वाला टैक्स इक्विटी के मुकाबले ज्यादा है। इस फर्क को दूर करने की जरूरत है।

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