Edited By Supreet Kaur,Updated: 10 May, 2018 10:37 AM
दिवालिया कंपनी जेपी इंफ्राटेक को कर्ज दे रखे वित्तीय संस्थानों ने लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपए की बोली को अपर्याप्त बताते हुए उसे खारिज कर दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। एक दर्जन से अधिक बैंकों का जेपी इंफ्राटेक लि. पर करीब 9,800 करोड़ रुपए का...
नई दिल्लीः दिवालिया कंपनी जेपी इंफ्राटेक को कर्ज दे रखे वित्तीय संस्थानों ने लक्षद्वीप की 7,350 करोड़ रुपए की बोली को अपर्याप्त बताते हुए उसे खारिज कर दिया। सूत्रों ने यह जानकारी दी। एक दर्जन से अधिक बैंकों का जेपी इंफ्राटेक लि. पर करीब 9,800 करोड़ रुपए का बकाया है। लक्षद्वीप की बोली पर विचार के लिये कर्जदाताओं की समिति की पिछले दो दिन बैठक चली। उसकी बोली अदाणी समूह की बोली से अधिक पायी गई थी।
सूत्रों ने कहा कि 85 प्रतिशत कर्जदाताओं ने पेशकश के खिलाफ वोट दिया जबकि केवल 6.6 प्रतिशत इसे स्वीकार करने और कंपनी को लक्षद्वीप को सौंपने के पक्ष में थे। लक्षद्वीप सुधीर वालिया की अगुवाई वाली सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी तथा मुंबई की दोस्ती रीयल्टी की संयुक्त उद्यम है। शेष 7.3 प्रतिशत कर्जदाता वोटिंग में उपस्थित नहीं थे। सूत्रों के अनुसार कर्जदाताओं ने जेपी समूह के प्रवर्तकों द्वारा कर्ज लौटाने के लिए 10,000 करोड़ रुपए की पेशकश पर विचार नहीं किया। दिवाला एवं ऋण शोधन कानून के प्रावधान चूककर्ता प्रवर्तकों को बोली में शामिल होने से रोकता है।
कर्ज में डूबी जेपी इंफ्राटेक के ऊपर 9,800 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें से 4,334 करोड़ रुपए आईडीबीआई के हैं। अन्य कर्जदाताओं में आईआईएफसीएल, एलआईसी, एसबीआई , कारपोरेशन बैंक , सिंडिकेट बैंक , बैंक आफ महाराष्ट्र , आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक, आईएफसीआई, जे एंड के बैंक, एक्सिस बैंक तथा श्रेई एक्विपमेंट फाइनेंस लि. हैं।