जेपी इन्फ्राटेक के वित्तीय ऋणदाता nbcc की बोली पर करेंगे मतदान, रोक की अपील खारिज

Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 May, 2019 11:54 AM

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कर्ज के बोझ से दबी जेपी इन्फ्राटेक की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी की संशोधित पेशकश पर मतदान करने का फैसला किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

नई दिल्लीः कर्ज के बोझ से दबी जेपी इन्फ्राटेक की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने सार्वजनिक क्षेत्र की एनबीसीसी की संशोधित पेशकश पर मतदान करने का फैसला किया है। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि जेपी इन्फ्राटेक के बैंक हालांकि मतदान के पक्ष में नहीं है लेकिन 20,000 से अधिक घर के खरीदार चाहते हैं कि मतदान किया जाए। सूत्रों ने बताया कि मतदान की प्रक्रिया बृहस्पतिवार को शुरू होकर रविवार को समाप्त होगी। इसके नतीजों की घोषणा 20 मई को की जाएगी। 

मंगलवार को हुई सीओसी की बैठक में बैंक शामिल हुए और उन्होंने एनबीसीसी की बोली पर मतदान का विरोध करते हुए आगे और बातचीत पर जोर दिया। सीओसी द्वारा मतदान का फैसला करने के बाद बैंकों ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के समक्ष मतदान की प्रक्रिया रुकवाने के लिए अपील की। हालांकि, एनसीएलएटी ने इस पर स्थगन देने से इनकार कर दिया। 

एनसीएलएटी के चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यदि वे इस प्रक्रिया को रोकने की कोशिश करेंगे तो उन्हें ‘शून्य राशि' प्राप्त होगी। पीठ ने कहा कि हजारों घर खरीदारों का हित सर्वोपरि है और यदि बोली लगाने वाली सिर्फ एक कंपनी है तब भी इस मामले को निपटाया जाना चाहिए। सीओसी की बैठक के दौरान बैंकरों ने यह भी प्रस्ताव किया कि वे जेपी इन्फ्राटेक का नियंत्रण अपने हाथ में लेंगे और 20,000 देरी वाले फ्लैटों को पूरा करने के लिए एनबीसीसी को परियोजना प्रबंधन परामर्शक (पीएमसी) नियुक्त किया है। 

बैंकों ने संशोधित बोली का विरोध ऐसे समय किया है जबकि एनबीसीसी ने सोमवार को कुछ शर्तों को नरम करने से इनकार कर दिया था। इनमें कर देनदारी से छूट भी शामिल है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि घर के खरीदारों की राय भिन्न थी। सीओसी में घर के खरीदारों का प्रतिनिधित्व करने वाले कुलदीप वर्मा चाहते थे कि मतदान में देरी नहीं की जाए। वर्मा ने समिति को यह भी बताया कि हजारों घर के खरीदारों ने उनसे कहा है कि वे संशोधित बोली पर मतदान के पक्ष में हैं। 

सूत्रों ने बताया कि वर्मा के विचारों को इसलिए माना गया क्योंकि सीओसी में घर के खरीदारों के पास 60 प्रतिशत मताधिकार है। किसी निपटान योजना पर मंजूरी के लिए वित्तीय ऋणदाताओं (बैंकरों और घर खरीदारों) के पास न्यूनतम 66 प्रतिशत मताधिकार होने चाहिए। जेपी इन्फ्राटेक के अंतरिम निपटान पेशेवर अनुज जैन ने भी संशोधित बोली पर मतदान प्रक्रिया का पक्ष लिया। सूत्रों ने बताया कि बहुलांश घर खरीदार एनबीसीसी की बोली के पक्ष में मत देंगे लेकिन इस बात की आशंका है कि बैंक इसे खारिज कर परिसमापन का विकल्प चुन सकते हैं क्योंकि उन्हें अपने 9,782 करोड़ रुपए के दावे पर 60 प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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