FSSAI का सकार को प्रस्ताव, अखबार-TV पर न दिखाएं जाएं जंक फूड के विज्ञापन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Apr, 2018 01:29 PM

junk food advertisements should not be shown on newspaper tv

हो सकता है आने वाले दिनों में आपको टी.वी., अखबार, रेडियो पर जंक फूड के विज्ञापन न देखने-सुनने को मिले। फूड रेग्यूलेटर एफ.एस.एस.ए.आई. ने केंद्र सरकार को ऐसे विज्ञापनों पर पूरी तरह से बैन लगाने का प्रस्ताव दिया है।

नई दिल्लीः हो सकता है आने वाले दिनों में आपको टी.वी., अखबार, रेडियो पर जंक फूड के विज्ञापन न देखने-सुनने को मिले। फूड रेग्यूलेटर एफ.एस.एस.ए.आई. ने केंद्र सरकार को ऐसे विज्ञापनों पर पूरी तरह से बैन लगाने का प्रस्ताव दिया है।

इसलिए दिया प्रस्ताव
एफ.एस.एस.ए.आई. का कहना है कि आलू चिप्स, कोला, अचार और सभी रेडी-टू-इट फूड में फैट, चीनी और नमक की बहुत ज्यादा मात्रा होती है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। वहीं इनके विज्ञापन देखकर बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। 

इन कंपनियों पर पड़ेगा असर
अगर केंद्र सरकार एफ.एस.एस.ए.आई. के प्रस्ताव को मान लेती है तो फिर इसका सबसे बुरा असर उन कंपनियों पर पड़ेगा जो चिप्स, बर्गर, पिज्जा, कोल्ड ड्रिंक आदि के विज्ञापन टी.वी., अखबार और रेडियो पर देते हैं। इन कंपनियों में कोका कोला, पेप्सी, मैकडोनाल्ड, बर्गर किंग, पिज्जा हट, डोमिनोज, नेस्ले, कैलॉग, हिंदुस्तान यूनिलीवर आदि शामिल हैं।  

कार्टून चैनल पर नहीं दिखाएगी विज्ञापन 
बच्चों को जंक फूड से हो रहे नुकसान से बचाने के लिए 9 बड़ी कंपनियों ने यह फैसला किया है कि वह अपने विज्ञापन कार्टून चैनल पर नहीं दिखाएंगी। बच्चे सबसे ज्यादा कार्टून चैनल देखते हैं और विज्ञापन उनके मन पर गहरा असर डालते हैं। जंक फूड की वजह से बच्चों से लेकर युवाओं तक कई बीमारियां पनप रही हैं जिनमें मोटापा और ब्लड प्रेशर की समस्या आम है। एक सर्वे के मुताबिक ज्यादा जंक फूड खाने से डिप्रेशन की समस्या होने का मामला भी सामने आया था। 

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