लॉकडाउन के चलते जूट उद्योग को 1,250 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 May, 2020 05:42 PM

jute industry estimated loss of rs 1 250 crore due to lockdown

कोरोना वायरस महामारी पर काबू के लिए लागू लॉकडाउन के कारण जूट उद्योग को करीब 1,250 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, और इस पर निर्भर श्रमिकों तथा किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

कोलकाताः कोरोना वायरस महामारी पर काबू के लिए लागू लॉकडाउन के कारण जूट उद्योग को करीब 1,250 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, और इस पर निर्भर श्रमिकों तथा किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के अध्यक्ष राघवेंद्र गुप्ता ने कहा कि यह क्षेत्र पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 40 लाख किसान और जूट मिलों के तीन लाख मजदूर इस उद्योग से जुड़े हैं। 

उद्योग राज्य के जीडीपी में 6,500 करोड़ रुपए का योगदान करता है। उन्होंने बताया, ‘‘करीब 1.5 लाख टन के जूट उत्पाद, जिनकी अनुमानित कीमत 1,250 करोड़ रुपए है, पहले ही नष्ट हो चुके हैं। कुछ मिलें दोबारा खुल तो गई हैं लेकिन 5-10 प्रतिशत कार्यबल के साथ काम कर रही हैं।'' उन्होंने कहा कि नकदी की आवक में कमी के चलते जूट मिलों के कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है और यह स्थिति बनी रही तो मिलों को बंद करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होगा। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अनिवार्य जूट पैकिंग के कमजोर पड़ने से जूट उद्योग क नुकसान और प्लास्टिक क्षेत्र को लाभ हुआ है।

आईजेएमए के अधिकारियों ने बताया, ‘‘करीब तीन लाख गांठों के जूट के थैलों का आर्डर प्लास्टिक उद्योग को दे दिया गया है और कई राज्यों ने मिलों को उत्पादन बंद करने के लिए कहा है।'' उन्होंने कहा कि यदि लॉकडाउन आगे बढ़ा तो अनिवार्य जूट पैकिंग के और अधिक कमजोर पड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि ज्यादातर मिलों के बंद रहने से कच्चे जूट की कीमतों में कमी आई है।  

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