Edited By Supreet Kaur,Updated: 05 Nov, 2019 11:20 AM
पर्यावरण को बचाने के लिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा रही है। इसका फायदा गोल्ड फाइबर कहे जाने वाले जूट को मिल रहा है। जूट मिलों को बड़ी मात्रा में ऑर्डर मिल रहे हैं। न सिर्फ सरकार बल्कि टेस्को और मुजी जैसे ग्लोबल...
नई दिल्लीः पर्यावरण को बचाने के लिए भारत ही नहीं पूरी दुनिया प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा रही है। इसका फायदा गोल्ड फाइबर कहे जाने वाले जूट को मिल रहा है। जूट मिलों को बड़ी मात्रा में ऑर्डर मिल रहे हैं। न सिर्फ सरकार बल्कि टेस्को और मुजी जैसे ग्लोबल रिटेलर्स भी जूट के थैलों की डिमांड कर रहे हैं। इससे जूट इंडस्ट्री को बूस्ट मिला है। हालात ये हैं कि जूट बैग बनाने वाली यूनिट्स को सरकार से अपील करनी पड़ी है कि जूट बैग के और ऑर्डर न दें।
सूत्रों के अनुसार बिड़ला कॉर्पोरेशन की यूनिट बिड़ला जूट मिल्स 20 लाख जूट थैलों का ऑर्डर पूरा करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है। बिड़ला जूट मिल्स के असिस्टैंट वाइस प्रैजीडैंट आदित्य शर्मा ने बताया, ‘‘हमने पिछले साल यह यूनिट शुरू की है और हमारी क्षमता महीने में 1,50,000 बैग बनाने की है। 2 महीने के अंदर हम नए स्थान पर इतनी ही क्षमता वाली एक और यूनिट शुरू करने जा रहे हैं।’’ बिड़ला जूट मिल्स के पास पहले से काम का इतना दबाव हो गया है कि उसने सरकार से कहा है कि और ऑर्डर न दें।
बढ़ रहा जूट उत्पादों का निर्यात
बड़ी जूट मिल्स में से एक ग्लोस्टर ने हाल ही में कोलकाता के पास 70 एकड़ जमीन खरीदी है, जहां पर कम्पनी 200 करोड़ रुपए में अपनी तरह की इकलौती जूट मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट सैट करेगी। इसकी क्षमता रोजाना 100 टन जूट को प्रोसैस करने की होगी। जूट बैग मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर में ग्रोथ के पीछे शॉपिंग बैग्स की बढ़ती मांग प्रमुख वजह है। 2013-14 में जूट बैग्स का निर्यात 3 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2019 में 5.6 करोड़ रुपए हो गया है।