मॉनसून की बरसात में कमी ने बढ़ाई चिंता, बढ़ सकती है महंगाई

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Jul, 2021 10:45 AM

lack of monsoon rains raised concerns inflation may increase

देश में खरीफ की बुआई चिंताजनक स्तर तक पिछड़ गई है। खरीफ की बुआई पिछड़ने के कारण न सिर्फ फसलों का पैटर्न गड़बड़ा सकता है बल्कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई भी बढ़ सकती है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 16 जुलाई तक देश में पिछले साल के...

जालंधर (नरेश अरोड़ा): देश में खरीफ की बुआई चिंताजनक स्तर तक पिछड़ गई है। खरीफ की बुआई पिछड़ने के कारण न सिर्फ फसलों का पैटर्न गड़बड़ा सकता है बल्कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई भी बढ़ सकती है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 16 जुलाई तक देश में पिछले साल के मुकाबले अभी 80.04 लॉक हैक्टेयर रकबे पर खरीफ की बुआई पिछड़ी हुई है जबकि बुआई की तुलना यदि पिछले साल के जुलाई के दुसरे सप्ताह के साथ की जाए तो भी अभी 25 लाख हैक्टेयर रकबे में बुआई कम हुई है। चालू खरीफ सीजन में अभी तक कुल 611.89 लाख हैक्टेयर रकबे पर फसलों की बुआई हुई है जबकि पिछले साल अब तक 691.93 लाख हैक्टेयर रकबे पर फसलों की बुआई हुई थी इस लिहाज से अभी तक  करीब 11.6 कम रकबे पर बुआई हुई है।

पिछले सप्ताह देश में खरीफ की बुआई 58 लाख हैक्टेयर पिछड़ी हुई थी लेकिन जुलाई के तुलनात्मक सप्ताह में बुआई संतोषजनक स्तर पर थी और कुल 3.02 लाख हैक्टेयर रकबे पर ज्यादा बिजाई हुई थी लेकिन 16 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में बुआई ज्यादा पिछड़ गई है। पिछले सप्ताह तक 87 हजार हैक्टेयर रकबे पर दलहन की बुआई का काम पिछड़ा था जो इस सप्ताह बढ़कर 9.71 लाख हैक्टेयर पहुंच गया है। उड़द की दाल का रकबा 5.43 लाख हैक्टेयर और मूंग की दाल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 4.29 लाख हैक्टेयर पिछड़ गया है। हालांकि कपास की बुआई के रकबे में सुधार हुआ है लेकिन इसके बावजूद अभी तक कपास की बुआई का रकबा 14.62 लाख हैक्टेयर पिछड़ा हुआ है जबकि पिछले सप्ताह तक 18.38 लाख हैक्टेयर कम रकबे में कपास की बुआई हुई थी।

दरअसल 14 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह के आंकड़ों के मुताबिक देश में मॉनसून की बरसात 7  प्रतिशत कम हुई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत में बरसात में 40  प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है जबकि उत्तर पश्चिम भारत में भी 21 प्रतिशत कम बरसात हुई है। हालांकि दक्षिण भारत में 59 फीसदी ज्यादा बरसात हुई है और मध्य भारत में एक फीसदी कम बरसात हुई है। बरसात के समय पर न होने और असामान्य बरसात के कारण फसलों की बुआई का काम पिछड़ा हुआ है।

14.59 लाख हैक्टेयर पिछड़ी बाजरे की बुआई 
पिछले सप्ताह तक देश में मोटे अनाज की बुआई का रकबा 15.13 लाख हैक्टेयर पिछड़ा हुआ था जो इस सप्ताह बढ़ कर 23.73 लाख हैक्टेयर तक पहुंच गया है। बाजरे की बुआई सबसे ज्यादा पिछड़ी हुई है। पिछले साल 36.60 लाख हैक्टेयर रकबे में बाजरे की बुआई हुई थी और इस साल अभी तक सिर्फ 22.01  लाख हैक्टेयर रकबे पर बुआई हुई है। बाजरे का रकबा 14.59 लाख हैक्टेयर पिछड़ गया है। मक्के के रकबे में 4.94 लाख हैक्टेयर और जवार के रकबे में 2.50 लाख हैक्टेयर की कमी दर्ज की गई है।

तिलहन की बुआई 20.44 लाख हैक्टेयर पिछड़ी 
देश में लगातार बढ़ रही खाद्य तेलों की कीमतों के बीच इस साल अब तक तिलहन की बुआई का रकबा 20.44 लाख हैक्टेयर तक पिछड़ा हुआ है और यदि अगले सप्ताह तक इसमें सुधार नहीं होता है तो इस रकबे में तिलहन की जगह अन्य फसलें लगानी पड़ सकती हैं जिस कारण फसलों का पैटर्न बदलने के साथ-साथ खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ने की भी आशंका है। देश में अब तक 128.91 लाख हैक्टेयर रकबे पर तिलहन की बुआई हुई है जबकि पिछले साल 149.35 लाख हैक्टेयर रकबे पर तिलहन की बुआई हुई थी और इस साल अभी तक तिलहन की कुल बुआई 128.91 लाख हैक्टेयर रकबे पर हुई है। हालांकि राहत की बात यह है कि पिछले साल जुलाई के दुसरे सप्ताह तक 127.89 लाख हैक्टेयर रकबे पर ही तिलहन की बुआई हुई थी और इस साल इस रकबे में 1.01 लाख हैक्टेयर रकबे की वृद्धि हुई है। तिलहन में सोयाबीन की बुआई 12.62 लाख हैक्टेयर पिछड़ी है जबकि मूंगफली की बुआई का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले 6.94 लाख हैक्टेयर कम है।
 
 
   

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