Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Jun, 2019 04:55 PM
अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टन लगार्ड ने व्यापार युद्ध को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बताते हुए शनिवार को कहा कि इससे वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 455 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
जापानः अंतररष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टन लगार्ड ने व्यापार युद्ध को वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा बताते हुए शनिवार को कहा कि इससे वर्ष 2020 में वैश्विक अर्थव्यवस्था को 455 अरब डॉलर का नुकसान होगा।
वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में आ सकती है 0.5% की कमी
जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों तथा केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की बैठक के समापन पर अपने बयान में लगार्ड ने कहा ‘‘यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास के मजबूत होने संकेत मिल रहे हैं। यह अच्छी खबर है लेकिन अब भी आगे की राह अनिश्चित और कई नकारात्मक जोखिमों से भरी हुई है। सबसे बड़ा खतरा मौजूदा व्यापार युद्ध को लेकर है। आईएमएफ का अनुमान है कि अमेरिका और चीन द्वारा एक दूसरे के उत्पादों पर पिछले साल और इस वर्ष लगाए गए करों से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में 2020 में 0.5 प्रतिशत या तकरीबन 455 अरब डॉलर (3,15,72,45,00,00,000 रुपए) की कमी आ सकती है जो आर्थिक गतिविधियों में बड़ी कमी का कारण बन सकता है।''
नए कर लगाने पर दी चेतावनी
आईएमएफ प्रबंध निदेशक ने कहा कि ब्याज दर काफी कम है और कई विकसित देशों में ऋण का स्तर बढ़ रहा है। उभरते हुए बाजार वित्तीय परिस्थितियों में अचानक बदलाव केे प्रति संवेदनशील हैं। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए दूसरा बड़ा खतरा है। लगार्ड ने और नए कर लगाने के खिलाफ भी चेताया तथा मौजूदा व्यापार युद्ध का समाधान ढूंढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा ‘‘मेरी समझ से इन जोखिमों को कम करने के लिए पहली प्राथमिकता मौजूदा व्यापार युद्ध को हल करना होना चाहिए। इसके लिए मौजूदा करों को समाप्त करने तथा नए कर न लगाने की जरूरत है। साथ ही साथ हमें अंतररष्ट्रीय व्यापार तंत्र के आधुनिकीकरण की दिशा में भी काम जारी रखने की आवश्यकता है। ऐसा करके नीति निर्माता अपनी अर्थव्यवस्था में जहां निश्चितता और विश्वास पैदा करेंगे वहीं वे वैश्विक विकास में भी सहयोग दे सकेंगे।''
ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश छोड़ें सभी देश
आईएमएफ प्रबंध निदेशक ने कहा कि अधिकतर देशों में मौद्रिक नीति आंकड़ों पर आधारित रहनी चाहिए तथा इसमें ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश छोड़ी जानी चाहिए। वित्तीय नीतियों में विकास और सामाजिक उद्देश्यों का संतुलन हो। तेज एवं अधिक समावेशी विकास की नींव रखने के लिए बाजार के उदारीकरण से लेकर कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने जैसे ढांचागत सुधार किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकार के उपाय किए जाते हैं तो जी-20 देशों के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर लंबी अवधि में चार प्रतिशत बढ़ सकती है।