आरबीआई और कोटक बैंक की कानूनी लड़ाई, बैंकिंग क्षेेत्र में हो सकता बदलाव

Edited By Yaspal,Updated: 01 Apr, 2019 06:28 PM

legal battle of rbi and kotak bank will changes in banking sector

सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में कोटक महिंद्रा बैंक और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मुकदमा दोबारा दायर किया है । कोर्ट ने फैसला किया है दोनों बैकों के बीच चल रहे मुकदमे की सुनवाई दोबारा शुरू होगी। इसलिए हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई....

नई दिल्ली: सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में कोटक महिंद्रा बैंक और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने दोबारा मुकदमा दायर किया है । कोर्ट ने फैसला किया है दोनों बैकों के बीच चल रहे मुकदमे की सुनवाई दोबारा शुरू होगी। इसलिए हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई भारत की बैंकिंग इंडस्ट्री के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण हो सकती है। 

जानिए पूरा मामला
कोटक महिंद्रा बैंक में कोटक परिवार के 30 फीसदी स्टेक है, लेकिन आरबीआई के नियम के तहत किसी बैंक में प्रमोटर होल्डिंग की एक तय लिमिट है। रिजर्व बैंक ने प्रमोटर्स से 30 दिसंबर, 2018 तक कोटक परिवार का स्टेक 20 फीसदी के अंदर, मार्च 2020 तक 15 फीसदी के अंदर और उसके बाद 10 फीसदी के अंदर लाने को कहा था। ऐसा 4 साल पहले नए बैंक लाइसेंस के लिए जारी की गई गाइडलाइंस के अनुसार कहा गया था। कोटक परिवार ने सिलिकॉन वैली के टेक बॉस की तरह इसके लिए एक अलग तरीका चुना। प्रमोटर्स ने अपने प्रीफ्रेंस शेयरों को इक्विटी शेयर्स से कम कर दिया। क्योंकि कि प्रीफ्रेंस शेयर्स से वोटिंग राइट्स नहीं मिलते। 

PunjabKesariशेयरों में गडबडी़ 
प्रीफ्रेंस शेयर्स को बेचकर, कोटक परिवार ने अपने स्टेक को 30 प्रतिशत से कम कर 20 प्रतिशत तक कर दिया है, जबकि वोटिंग राइट्स अपने पास ही रखे। लेकिन आरबीआई ने इसे खारिज कर दिया और जोर दिया कि वह पेड-अप इक्विटी कैपिटल को कम करना चाहता है क्योंकि पहले वाले वोटिंग राइट्स रखना नियमों के खिलाफ है। इसके चलते ही प्राइवेट बैंकों में किसी एक व्यक्ति के मालिक होने की जगह कई अलग-अलग लोगों के पास मालिकाना हक होता है। 

PunjabKesariकोर्ट में दायर मामला
कोटक ने इस मामले में आरबीआई के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और यह मामला अनचार्टेड टैरिटरी में है। देश में सार्वजनिक लोगों के अलावा अर्थव्यवस्था के लिए भी बैंकिंग एक महत्वपूर्ण सिस्टम है जिसे कड़े नियमों के साथ रेग्युलेट किया जाता है और आरबीआई ने इस मामले में अपना आखिरी फैसला दे दिया था। लेकिन कोटक ने अब इसे कोर्ट में चुनौती दे दी है। मार्च के दूसरे हफ्ते में सुनवाई के दौरान, प्रमोटर्स ने बताया कि वे ३० प्रतिशत स्टेक रखने के बावजूद वोटिंग राइट्स 20 प्रतिशत करने को तैयार हैं। इसलिए, वह दोनों को कम करने की जगह आरबीआई से वोटिंग राइट्स या इक्विटी में से किसी एक को कम करने को कह रहा है। आरबीआई ने कहा, 'अगर याचिका में कोटक को राहत मिलती है तो इससे आरबीआई की स्वायत्ता पर असर पड़ेगा।' आरबीआई के लिए परेशानी है बैंकिंग रेग्युलेशन ऐक्ट। इसके अनुसार जिन कैपिटल को कम करने की जरूरत होती है उनमें इक्विटी और प्रीफ्रेंस दोनों शामिल हैं। 

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