Edited By vasudha,Updated: 19 Feb, 2020 01:42 PM
पैन कार्ड के बाद अब आपके वोटर आई कार्ड को भी आधार के साथ लिंक कराना जरूरी हो सकता है। क्योंकि आधार कार्ड को वोटर आईडी के साथ लिंक करने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने सहमति जता दी है। यानी की अब फर्जी वोटर कार्ड की पहचान करके उसे...
बिजनेस डेस्क: पैन कार्ड के बाद अब आपके वोटर आई कार्ड को भी आधार के साथ लिंक कराना जरूरी हो सकता है। क्योंकि आधार कार्ड को वोटर आईडी के साथ लिंक करने के चुनाव आयोग के प्रस्ताव पर कानून मंत्रालय ने सहमति जता दी है। यानी की अब फर्जी वोटर कार्ड की पहचान करके उसे कैंसिल किया जा सकेगा। साथ ही प्रवासी मतदाताओं को रिमोट वोटिंग अधिकार देने में भी आसानी होगी।
दरअसल चुनाव सुधार को लेकर मंगलवार को विधि मंत्रालय में सचिव जी नारायण राजू के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की गयी, जिसमें उम्मीदवारों के गलत हलफनामे और फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के अलावा मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर भी विचार किया गया। उल्लेखनीय है कि आयोग ने हाल ही में विधि मंत्रालय को पत्र लिखकर मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों में संशोधन का अनुरोध किया था। आयोग की दलील है कि एक ही मतदाता के एक से अधिक मतदाता पहचान पत्र बनवाने की समस्या के समाधान के लिये इसे आधार से जोड़ना ही एकमात्र विकल्प है।
चुनाव आयोग चाहता है कि वह अधिक से अधिक युवाओं को वोटर लिस्ट में शामिल करे। आयोग इसके लिए अधिक विकल्प की मांग कर रहा है। वर्तमान में नए वोटरों के लिए रजिस्ट्रेशन का एक विकल्प है यानी 1 जनवरी को 18 साल की उम्र पूरा होने पर ही वोटर लिस्ट में रजिस्टर किया जाता है। आयोग अब मल्टीपल विकल्प चाहता है, ताकि और युवाओं का लिस्ट में नाम आ सके।सूत्रों के अनुसार अरोड़ा ने विधि मंत्रालय के अधिकारियों को चुनाव सुधार संबंधी आयोग के लगभग 40 लंबित प्रस्तावों की भी याद दिलायी। ये प्रस्ताव पिछले कई सालों से लंबित हैं। इनमें सशस्त्र बल और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के लिए निर्वाचन नियमों को लैंगिक आधार पर एक समान बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है।
इसके तहत आयोग ने महिला सैन्यकर्मियों के पति को भी सर्विस वोटर का दर्जा देने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव के लंबित प्रस्ताव पर अमल करने का अनुरोध किया है। मौजूदा व्यवस्था में सैन्यकर्मियों की पत्नी को सर्विस वोटर का दर्जा मिलता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी के पति को यह दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है। उल्लेखनीय है कि आयोग के प्रशासनिक मामले सीधे तौर पर विधि मंत्रालय के तहत आते हैं। चुनाव में गलत हलफनामा पेश करने के बारे में मौजूदा व्यवस्था में दोषी ठहराये जाने पर उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत धोखाधड़ी का ही मामला दर्ज होता है। आयोग ने गलत हलफनामा देकर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है। एक अन्य प्रस्ताव में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद के चुनाव में भी चुनाव प्रचार खर्च की सीमा तय करने की पहल की है। इसके अलावा आयोग ने मंत्रालय से मुख्य चुनाव आयुक्त की तर्ज पर दो चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक संरक्षण देने के पुराने प्रस्ताव पर विचार करने का अनुरोध किया है।