Edited By Supreet Kaur,Updated: 04 Sep, 2018 04:55 PM
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के निदेशक मंडल ने मंगलवार को बताया कि उसने कर्ज के बोझ से दबे आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसदी करने के तौर-तरीके और समय सीमा को लेकर निर्णय कर लिया है। आर्थिक मामलों के सचिव और एलआईसी के .....
नई दिल्लीः भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के निदेशक मंडल ने मंगलवार को बताया कि उसने कर्ज के बोझ से दबे आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसदी करने के तौर-तरीके और समय सीमा को लेकर निर्णय कर लिया है। आर्थिक मामलों के सचिव और एलआईसी के निदेशक मंडल में सरकार के प्रतिनिधि एस. सी. गर्ग ने बताया कि अभी यह प्रक्रिया अभी पूरी की जानी है, इसलिए निदेशक मंडल ने इस संबंध में आवश्यक निर्णय लिए हैं।
निदेशक मंडल की बैठक के बाद गर्ग ने कहा कि इसके लिए कार्यक्रम तय कर लिया गया है और खुली पेशकश की संभावना पर विचार किया जा रहा है। ‘इससे (खुली पेशकश से) छूट मिलेगी या नहीं, यह निर्णय सेबी (बाजार विनियामक) को करना है।’ गौरतलब है कि एलआईसी तरजीही शेयर के आधार पर आईडीबीआई बैंक में अतिरिक्त सात फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की प्रक्रिया में है। इसके बाद बैंक में उसकी हिस्सेदारी बढ़कर 14.9 फीसदी हो जाएगी जो अभी 7.98 फीसदी है। इस हिस्सेदारी खरीद से आईडीबीआई बैंक को अपनी पूंजी की तत्काल जरूरत को पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे उसे दूसरी तिमाही के अंत तक पूंजी के लिए नियामकीय कसौटी को पूरा करने में भी आसानी होगी।
अगस्त में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईडीबीआई बैंक में एलइआईसी की हिस्सेदारी बढ़ाकर 51 फीसदी करने की अनुमति दे दी थी। आईडीबीआई बैंक में अभी सरकार की हिस्सेदारी 85.96 फीसदी है। जून 2018 में समाप्त तिमाही में बैंक का शुद्ध घाटा बढ़कर 2,409.89 करोड़ रुपए तक पहुंच गया था। बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 57,807 करोड़ रुपए है।