Edited By Supreet Kaur,Updated: 22 May, 2018 11:53 AM
टाटा स्टील का मानना है कि अधिग्रहण के जरिए उसके खाते में ताजा जुड़ी भूषण स्टील कंपनी का उसके साथ अच्छा तालमेल बैठेगा। टाटा स्टील ने दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत कर्ज के बोझ से दबी भूषण स्टील का अधिग्रहण किया है। टाटा स्टील के मुख्य कार्यकारी अधिकारी...
नई दिल्लीः टाटा स्टील का मानना है कि अधिग्रहण के जरिए उसके खाते में ताजा जुड़ी भूषण स्टील कंपनी का उसके साथ अच्छा तालमेल बैठेगा। टाटा स्टील ने दिवाला शोधन प्रक्रिया के तहत कर्ज के बोझ से दबी भूषण स्टील का अधिग्रहण किया है। टाटा स्टील के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक टी.वी. नरेंद्रन ने कहा कि यह नीलामी पर रखी गई एक सर्वश्रेष्ठ परिसंपत्ति थी। उनका यह बयान साउथ ब्लॉक में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हुई एक बैठक के बाद आया है। हालांकि उन्होंने इसे एक ‘नियमित बैठक’ बताया।
नरेंद्रन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें इस अधिग्रहण में बहुत संभावनाएं नजर आती हैं , इसके पास एक ऐसा कारखाना और सुविधा हैं जिसके बारे में हम जानते हैं। इसके (भूषण) पास एक बेशी क्षम ता वाली रोङ्क्षलग मिल है। यह वहां हमारे मौजूदा कारखाने के नजदीक है। किसी संयंत्र को बनाने में समय लगता है, कलिंगनगर को 10 साल लगे।’’
भूषण स्टील के प्रवर्तक नीरज सिंगल द्वारा राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय अधिकरण (एनसीएलएटी) में टाटा स्टील के उसके संयंत्र को खरीदे जाने की क्षमता पर उठाए गए सवाल के बारे में नरेंद्रन ने कहा, ‘‘टाटा स्टील ने प्रक्रिया का पूरा पालन किया है। मैं समझ सकता हूं कि जिस परिसंपत्ति को आप बनाते हैं उसे खोना कितना मुश्किल होता है।’’ एनसीएलएटी ने आज इस अपील को खारिज कर दिया और टाटा स्टील द्वारा भूषण स्टील के अधिग्रहणक सही ठहराया।