Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Mar, 2019 06:19 PM
देश के 50 सबसे बड़े टैक्स डिफॉल्टर्स और कर राजस्व के अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौड़ जवाबी
इंदौरः देश के 50 सबसे बड़े टैक्स डिफॉल्टर्स और कर राजस्व के अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चन्द्रशेखर गौड़ जवाबी चिट्ठियों की सिलसिलेवार बाढ़ से परेशान हैं। मध्यप्रदेश के नीमच कस्बे में रहने वाले इस शख्स की एक अदद अर्जी पर उनके घर साल भर में देश के अलग-अलग हिस्सों के आयकर दफ्तरों से 3,000 से ज्यादा चिट्ठियां पहुंच चुकी हैं।
गौड़ ने बताया, 'मैंने सीबीडीटी में 25 फरवरी 2018 को ऑनलाइन आरटीआई अर्जी दायर कर जानना चाहा था कि उसके पास उपलब्ध कुल आंकड़ों के मुताबिक देश के 50 सबसे बड़े कर बकायादार कौन हैं? मैंने अपनी अर्जी में अन्य प्रश्नों के साथ यह भी पूछा था कि पिछले 10 वित्तीय सालों के दौरान देश भर में कुल कितना प्रत्यक्ष कर राइट ऑफ किया गया है?' उन्होंने कहा, 'मैंने सूचना के अधिकार के तहत सीबीडीटी से विशिष्ट तौर पर कुल आंकड़ों की मांग की थी लेकिन सीबीडीटी ने अपने स्तर पर ये आंकड़े भेजने के बजाय मेरी अर्जी को देश भर के विभिन्न स्तरों के आयकर कार्यालयों की ओर बढ़ा दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि मुझे इन कार्यालयों से पिछले एक साल से लगातार चिट्ठियां आ रही हैं।
उनके अनुसार कुछ दफ्तरों ने मुझे केवल उनके क्षेत्र के आंकड़े बताए हैं, जबकि कुछ कार्यालयों ने यह जवाब लिख भेजा है कि आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है।' गौड़ के मुताबिक जब वह इन चिट्ठियों को इकट्ठी कर गिनने बैठे, तो इसमें उन्हें करीब 5 घंटे का समय लगा और इनकी कुल तादाद 3,010 निकली। इसके अलावा, उन्हें 50 से ज्यादा ई-मेल भी भेजे गए।
आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया, 'मैंने अपनी अर्जी में सीबीडीटी से सीधे तौर पर अनुरोध किया था कि इस आवेदन के जवाब में मुझे ऑनलाइन जानकारी ही भेजी जाए। लेकिन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि मुझ पर कागजी चिट्ठियों की बौछार कर दी गई। जो सवाल मैंने अपनी आरटीआई अर्जी में किए थे, उनका मुझे अब तक सीबीडीटी से स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।'
गौड़ का कहना है कि इस अर्जी पर पिछले एक साल से देश भर से लगातार भेजी जा रहीं चिट्ठियों के चलते वह मानसिक तौर पर बुरी तरह परेशान हो गए हैं। उन्होंने सीबीडीटी के रवैये को आरटीआई कानून की मूल भावना के खिलाफ है।' गौड़ ने कहा कि देश भर के आयकर कार्यालयों द्वारा भेजी गयी इन चिट्ठियों के लिए सरकारी खजाने से डाक व्यय के रूप में बड़ी धनराशि खर्च हुई और मानव संसाधन के सैकड़ों कीमती घण्टे भी बर्बाद हो गए।