लोन महंगा हुआ लेकिन मांग में कोई कमी नहीं, SBI चेयरमैन ने इकोनॉमी के लिए दिए ये संकेत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2022 02:38 PM

loan became expensive but there is no shortage in demand

बढ़ती महंगाई और ऊंची उधारी लागत के बावजूद भारतीय उद्योग जगत की निवेश योजनाओं में कोई ब्रेक नहीं लगा है। यह एशिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी के गति पकड़ने का संकेत है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने ब्लूमबर्ग को दिए

बिजनेस डेस्कः बढ़ती महंगाई और ऊंची उधारी लागत के बावजूद भारतीय उद्योग जगत की निवेश योजनाओं में कोई ब्रेक नहीं लगा है। यह एशिया की तीसरी बड़ी इकोनॉमी के गति पकड़ने का संकेत है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि कंपनियां लगातार 71 अरब डॉलर की लोन पाइपलाइन का फायदा उठा रही हैं। देश के सबसे बड़े और 216 साल पुराने लेंडर के प्रमुख ने कहा कि दो साल लगातार क्रेडिट में सुस्ती के बाद आगे लोन ग्रोथ मजबूत रहने का अनुमान है।

तीन साल में सबसे ज्यादा रह सकती है ग्रोथ
मोटे तौर पर ट्रेंड्स से भारत के 120 लाख करोड़ रुपए के बैंकिंग सिस्टम में लोन ग्रोथ तीन साल में सबसे ज्यादा रहने के संकेत मिल रहे हैं। खारा ने कहा, चाहे वर्किंग कैपिटल लोन हों या टर्म लोन हों, डिमांड बढ़ रही है। आयरन और स्टील जैसे सेक्टर्स में कैपेसिटी उपयोग 100 फीसदी बना हुआ है। ऐसे में इस साल यदि मानसून अच्छा रहता है तो हालात और बेहतर रहेंगे।

दिलचस्प बात यह है कि फंड्स की कॉस्ट बढ़ने के बावजूद भारत में बिजनेस कॉन्फिडेंस और क्रेडिट डिमांड बढ़ी है। बुधवार को आरबीआई ने महंगाई की चिंताओं को देखते हुए अपनी मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी थी।

कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो बढ़ाने के लिए बॉन्ड बेचेगा एसबीआई
लोन की मांग बढ़ने का मतलब है कि एसबीआई को अपना कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो बढ़ाना होगा, जो 2 फीसदी की न्यूनतम नियामकीय जरूरत से कम है। बैंक का कुल कैपिटल बफर 13.8 फीसदी के स्तर पर है, जो देश के टॉप लेंडर्स में सबसे कम है। खारा ने कहा कि कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए SBI बॉन्ड बेचेगी। 

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